छग की गो-धन न्याय योजना अत्यंत प्रशंसनीय इसे सभी राज्य लागू करें – स्वामी आत्मानंद सरस्वती

बिलासपुर

राजीव दुबे

अपने छत्तीसगढ़ के प्रवास के दौरान कुछ समय के लिए तख़तपुर पहुँचे कनिष्ठ जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी आत्मानंद सरस्वती ने छत्तीसगढ़ के गोधन न्याय योजना की प्रशंसा करते हुए छत्तीसगढ़ से प्रेरणा लेकर इसे अन्य राज्यो को भी चलाने की सलाह दी है।वही कर्नाटक के बुर्का विवाद को मूर्खतापूर्ण और विभाजनकारी बताते हुए सभी को जगह परिस्थिति और अनुशासन के नियमो का पालन करने की बात कही।

छत्तीसगढ़ प्रवास में तख़तपुर पहुंचने पर कनिष्ठ जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी आत्मानंद सरस्वती ने विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी।छत्तीसगढ़ में गौ-संरक्षण के लिए चलाये जा रहे गोधन न्याय योजना की प्रशंसा करते हुए कनिष्क जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी आत्मानंद सरस्वती ने इस योजना को श्रेष्ठ बताते हुए गौ संरक्षण के लिए उठाया गया सराहनीय कदम बताया।उन्होंने कहा कि आज तक किसी सरकार ने गौ माता की रक्षा और गौ उत्पाद को उपयोगी बनाने के लिए इस तरह की योजना नही लाई है।देश के अन्य राज्यों को भी छत्तीसगढ़ सरकार की इस योजना से सीख कर इसे लागू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यद्यपि हम हिंदुत्ववादी हैं और आरएसएस तथा विश्व हिंदू परिषद से जुड़े हुए है लेकिन कोई अच्छा काम करेगा तो उसकी प्रशंसा भी करेंगे।छत्तीसगढ़ की सरकार की यह योजना प्रशंसनीय है। ज्ञातव्य है कि छत्तीसगढ़ सरकार गौवंश संरक्षण के लिए प्रदेश भर में गौठान का निर्माण कराकर दो रुपये किलो में गोबर खरीदी कर रही है।इससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिलने के साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है।

कर्नाटक से शुरू हुए बुर्का विवाद पर बोलते हुये इसे मूर्खतापूर्ण मांग बताया है।उन्होंने कहा कि हमे समय परिस्थिति और संस्था और उसके नियमो के अनुसार कपड़े पहनने होंगे।हिजाब पहनने वाले उसे पूजा या अन्य धार्मिक स्थानों पर पहने। लेकिन उसे स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर लागू करने की बात करना निश्चित रूप से देश को बांटने की कोशिश है।न्यायालय का अपना ड्रेस कोड है,स्कूलों का अपना ड्रेस कोड है थाने का अपना ड्रेस कोड है।यदि वहाँ जाना है और कार्य करना है तो वहां के नियमो और अनुशासन निर्देशो का पालन करना चाहिए।वहीं उन्होंने नरेंद्र गिरी महाराज और भैय्यू जी महाराज का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें संपत्ति विवाद के चलते आत्मघाती कदम उठाना पड़ा इसलिए मैं धन संचय नही करता हूँ।

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