किंजल की कहानी शास्त्रों में वर्णित पुनर्जन्म का प्रमाण है?

बिलासपुर

राजीव दुबे

हिन्दू धर्म शास्त्रों में आत्मा के पुनर्जन्म का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।समय समय पर हमारे देश और प्रदेश में कई ऐसी घटनायें सामने आई है जो पुनर्जन्म के साक्षी के रूप में सामने आ चुकी है।वर्तमान में राजस्थान की 4 वर्षीय किंजल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।उसकी कहानी उसे उसके गांव से 32 किमी दूर पिपलांत्री गांव से जोड़ती है,जहाँ एक परिवार की महिला 9 वर्ष पहले आग से जलकर मरी थी।उस परिवार के लड़के को भाई के रूप में और माता पिता को माँ बाप के रूप में पहचान लेती है।इसे सुनकर जो पुर्नजन्म में।विश्वास नही करता है उसके लिए तर्क करना मुश्किल हो जायेगा।कैसे एक 4 साल की लड़की जो पिपलांत्री गांव कभी गई नही किसी महिला के जलकर मरने की बात करती है और लड़के के सामने आते ही उसे अपने भाई के रूप में पहचान लेती है।

पुनर्जन्म पर विश्वास करना या न करना आपकी व्यक्तिगत विचारधारा हो सकती है।इस खबर को आपके सामने लाने का हमारा उद्देश्य भी किसी प्रकार से पुनर्जन्म की बातों को सत्य बताना भी नही है।लेकिन जो घटनाएं पूर्व में सामने आई थी और वर्तमान में राजस्थान के किंजल की कहानी कही न कहीं इस विषय मे सोचने और विषद अन्वेषण करने की आवश्यकता की ओर संकेत करता है।

किंजल राजस्थान के राजसमन्द के नाथद्वारा के करीब परावल गांव में रहने वाले रतन सिंह सोना मत की 5 बेटियों में से सबसे छोटी बेटी है उसकी उम्र महज 4 साल है रतन सिंह चूड़ावत एक होटल में काम करते हैं। किंजल जब 3 साल की थी तब वह अपने भाई से मिलने की जिद कर रोने लगी जबकि उसके घर में कोई भी भाई नहीं है। पहले तो उसके माता-पिता ने इस बात को नजरअंदाज किया। किंतु 2 महीने पहले जब किंजल की मां दुर्गा ने किंजल को अपने पापा को बुलाने को कहा तो किंजल कहने लगी कि उसके पापा तो पिपलांत्री गांव में रहते हैं। इसके बाद वह खुद के चल कर मरने और दो भाई दो बहन होने की बात कहने लगी।साथ ही खुद को जलने के बाद एम्बुलेंस में लेकर जाने की बात भी बतायी।उसने बताया कि उसके पापा ट्रक चलाते थे। खेत और घर के बाहर फूल के पौधे लगे थे। किंजल के माता पिता उसके बीमार होने की आशंका में उसे कई मंदिर और अस्पताल भी ले गए, लेकिन सभी जगह किंजल को सामान्य बताया गया।

एक चार साल की मासूम बच्ची के इस तरह की बातें करने की जानकारी पिपलांत्री गांव में रहने वाले पंकज को हुई तो ,वह किंजल से मिलने पहुंचा।दरअसल पंकज पिपलांत्री गांव के उसी परिवार का लड़का है जिसके विषय में किंजल बता रही थी।पंकज बताता है कि जब वह किंजल से मिला तो वह उसे देख कर खुश हो गयी और अपने भाईके रूप में पहचान लिया,जिससे वह पिछले एक साल से मिलने की जिद कर रही थी।पंकज ने जब अपने फ़ोन पर अपनी माँ और उषा की फ़ोटो दिखाया तो वह जोर से रोने लगी।

इसके बाद किंजल की माँ और दादा उसे लेकर पिपलांत्री गांव पहुँचे। जहां वह गीता पालीवाल से मिली।गीता पालीवाल पंकज और 9 साल पहले आग से जलकर मरी उषा की माँ है।गीता बताती है।कि जब किंजल उनके यहाँ आयी तो ऐसा लगा जैसे वह वर्षों से यहां राह रही हो।उसने उन महिलाओं को पहचान कर उनसे बातें करने लगी जिनको गीता की बेटी उषा जानती थी।वह उन फूलों के विषय मे भी पूछ रही थी ,जो घर मे लगाए गए थे और उषा को पसंद थे।तब गीता ने किंजल को बताया कि 7 से 8 साल पहले हटा दिए गए है।किंजल ने उसकी दोनों छोटी बेटियों और बेटों से भी खूब बात की और दुलार भी किया।

दरअसल उषा, गीता की बेटी थी ,जिसकी मौत 2013 में घर मे काम करते समय गैस में झुलसने से हुई थी।उसके दो बच्चे भी थे।सम्भवतः उषा ही 4 साल पहले पिप्लात्री से 32 किमी दूर परवाल में किंजल के रूप में रतन सिंह के घर मे फिर से जन्म ली है। इस घटना के बाद दोनों परिवारों में घनिष्ठता बढ़ गयी है।किंजल रोज ही गीता के घर के सभी सदस्यों से फ़ोन पर घंटों बात करती है।

इसके बाद पुनर्जन्म पर आप विश्वास करें या न करें यह आपका विवेक है।लेकिन समय समय पर प्रकृति हिन्दू धर्म शास्त्रों में लिखी उन बातों का भी प्रमाण देती रहती है,जिन्हें आज के वैज्ञानिक युग मे अंधविश्वास या रूढ़िवाद कहकर नकार दिया जाता है।

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