शासन के ढुलमुल रवैए से स्थानांतरण नीति हुआ बेमानी,वर्षों से जमे अधिकारी ले रहे हाईकोर्ट की शरण

बिलासपुर

राकेश मिश्रा

राज्य शासन द्वारा स्थानांतरण नीति के तहत किए गए स्थानांतरणों में आवेदनों के शीघ्र निराकरण नहीं होने से बिलासपुर जिले में कृषि विभाग में कर्मचारी कर्मचारी दुविधा में है।इसकी वजह अनुविभागीय अधिकारी कृषि का स्थानांतरण है।दरअसल बिलासपुर में पदस्थ अनुविभागीय अधिकारी कृषि समिधा यादव का विभागीय स्थानांतरण बेमेतरा हो गया है।उन्हें यहां से रिलीव भी कर दिया गया है।मगर उन्होंने अपने स्थानांतरण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई जहां से उन्हें समन्वय समिति के आवेदन करने को कहा गया।मगर समन्वय समिति द्वारा उनका आवेदन खारिज कर दिया गया, तो उन्होंने दोबारा हाईकोर्ट याचिका लगाई है।जिस पर निर्णय आया नहीं है।

इस बीच रायगढ़ से स्थानांतरित होकर दिव्या गौतम ने बिलासपुर में कार्यभार भी संभाल लिया है।अब यहां दो अनुविभागीय अधिकारी है।एक अधिकारी जिसके पार अनुविभाग का पूरा चार्ज है और दूसरी जो पिछले 11 वर्षों से अनुविभाग देख रही थी और अभी भी बिलासपुर से अपना स्थानांतरण रुकवाने के लिए लगी हुई है।अब कर्मचारियों की उलझन है कि वे नई एसडीओ की बात माने या पुरानी को अधिकारी का सम्मान देना जारी रखें।क्योंकि यदि पुरानी का स्थानांतरण निरस्त हो गया तो वे फिर से आ जाएंगी,और अभी जो उनकी अवमानना करेगा उसे आने वाले समय में कष्ट का सामना करना पड़ सकता है।यदि नई एसडीओ के आदेशों के पालन में लापरवाही हुई तो उनके पास अभी पर्याप्त अधिकार है।इस लिए कर्मचारी दोनो को साध कर रखने का रास्ता अपना कर चल रहे है।किंतु प्रश्न यह उठता है कि आखिर 11 वर्ष की लंबी अवधि गुजारने के बाद यहां से रिलीव हुई अधिकारी को पुनः बिलासपुर में पदस्थापना मिलने के विश्वास का आधार क्या है और कार्यालय आने की अनुमति किसके शह पर मिला हुआ है।रिलीव होने के इतने समय बाद भी समिधा यादव के कार्यालय आने और दखल देने से कार्यालय में गोपनीयता भंग होने और कई गुप्त जानकारियों बाहर जाने की संभावना बनी हुई है।यदि उन्होंने अपने स्थानांतरण के विरुद्ध उच्च न्यायालय में याचिका लगाई है तो उन्हें अपने घर में रहकर निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए।

शासन नहीं कर रहा कार्यवाही

वैसे जो अधिकारी अपने स्थानांतरण के बाद रिलीव हो गए है और यदि उन्होंने नई पदस्थापन में कार्यभार ग्रहण नहीं किया है तो।शासन को उनके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए। क्योंकि इससे जहां उनका स्थानांतरण हुआ है वहां उनका पद खाली होगा जिससे विभाग का काम प्रभावित हो रहा होगा।या फिर कार्यवाहक से काम चलाया जा रहा होगा।यदि उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका लगाई भी है तो निर्णय आने तक उन्हें अपने स्थानांतरित स्थान पर जाकर जवाबदारी का निर्वहन करना चाहिए।यदि ऐसा नहीं किया जा रहा है तो यह स्वेच्छाचारिता और शासन के आदेश की अवहेलना है,और ऐसे कर्मियों के विरुद्ध कड़ा अनुशासनात्मक कार्यवाही किया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है।शासन के इसी ढीले रवैया से बिलासपुर जिले के कृषि विभाग के कर्मचारी दुविधा में फंसे हुए है।

शासन की स्थानांतरण नीति के तहत हुए है स्थानांतरण

राज्य शासन द्वारा इस साल माह जून में स्थानांतरण नीति से रोक हटाते हुए प्रदेश भर में बड़े पैमाने में विभिन्न विभागों में प्रशासनिक फेरबदल करते हुए तबादला आदेश जारी किया,इसमें कृषि विभाग भी शामिल है। स्थानांतरण नीति के अनुसार ऐसे शासकीय सेवक जो 2 वर्ष या उससे अधिक कालावधि से एक ही जिले में पदस्थ है उनका स्थानांतरण अन्य जिला किया गया। इसी क्रम में कृषि विभाग में भी बड़ी की संख्या में अधिकारियो का स्थानांतरण किया गया था। जिसमें पिछले 11 वर्ष से बिलासपुर में अनुविभागीय कृषि अधिकारी कार्यालय में पदस्थ सहायक संचालक कृषि समिधा यादव का स्थानांतरण जिला बिलासपुर से जिला बेमेतरा किया गया था। स्थानांतरण नीति के नियमानुसार सभी स्थानांतरण हुए अधिकारियो को 10 दिवस के भीतर नवीन जगह में अपनी जॉइनिंग देनी थी,।किंतु समिधा यादव अपने स्थानांतरण से असंतुष्ट होकर उच्च न्यायालय की शरण में गई,जहाँ उन्हें स्थानांतरण समन्वय समिति में अभ्यावेदन प्रस्तुत करने हेतु आदेशित किया गया। जिसके बाद आज वर्तमान में 3 माह गुजर जाने के बाद भी उक्त अधिकारी द्वारा जिला बिलासपुर के उपसंचालक कृषि कार्यालय में आकर अपनी उपस्थिति बिना किसी आदेश के दर्ज कराई जा रही है।यह शासन के आदेश की अवहेलना के साथ ही सम्बंधित विभाग की शासकीय कार्यों के प्रति उदासीनता को दर्शाता है।

वही इस मामले में सहायक संचालक पी डी हाथेश्वर का कहना है कि हमने सबको रिलीव कर दिया है।मगर संबंधित लोगों ने उच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी। वहां से समन्वय समिति के पास आवेदन करने कहा था।जहां से उनका आवेदन निरस्त कर दिया गया है।मगर उन्होंने दोबारा उच्च न्यायालय में याचिका लगाई है।इस वजह से स्थानांतरित जगह पर ज्वाइनिंग नहीं की है