मुंगेली
ब्यूरो
मुंगेली जिले के लोरमी के परसवारा में 45 परिवार जमीन का पट्टा मिलने के बाद भी पीछले कई वर्षों से भूमि से वंचित हैं।इसके चलते वे जमीन के मालिक होते हुए भी खेती नही कर पा रहे हैं।वही प्रशासन ने भी उन्हे पट्टे देकर अपने कर्तव्यों की इति समझ लिया है और आज तक किसानों को नक्शा बंटांकन करके जमीन नही दिया है।इस मामले को लेकर युवा कांग्रेस नेता रामेश्वर पुरी गोस्वामी ने कलेक्टर और आयुक्त के पास आवेदन लगाकर किसानों को जमीन दिए जाने की मांग की है।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार लोरमी के परसवारा में 45 परिवार ,जिनमे 20 आदिवासी परिवार भी शामिल है 1972 से खसरा नंबर 15/1 की लगभग 20 हेक्टेयर भूमि पर काश्तकारी करते आ रहे थे।मगर 1994 में गांव के कुछ दबंगों के द्वारा वन विभाग के अधिकारियों से मिली भगत करके उक्त भूमि पर प्लांटेशन करा दिया।जब गांव वालो ने इसका विरोध किया तो उनके विरुद्ध शासकीय कार्य में बाधा का आरोप लगाकर 8 किसानों के विरुद्ध एफआईआर करा जेल में बंद करा दिया।इसके बाद मामले में न्यायालय लोरमी तहसील में किसानों के व्यवस्थापन को लेकर बाद चलाया गया।इस प्रकरण में किसानों को 49 एकड़ जमीन व्यवस्थापन के लिए दिए जाने का निर्णय तहसीलदार लोरमी द्वारा दिया गया।
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इसके आधार पर 1997 में मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 के परिभाषित के अनुसार 45 परिवारों को एक- एक एकड़ का भूमिस्वामी अधिकार पत्रक पट्टा दिया गया।लेकिन शासन इन 20 आदिवासी परिवारों सहित 45 परिवारों को पट्टा जारी कर भूल गया,और जमीन का नक्शा बंटांकन कर जमीन पर कब्जा नहीं दिलाया।इसका फायदा उठाते हुए गांव के दबंगों ने एक बार फिर वन विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ करते हुए प्लांटेशन करा दिया।इसके चलते वन विभाग के कर्मचारी उन्हे उनकी पट्टे की जमीन पर खेती करने से रोकते हैं।जबकि वह जमीन वन विभाग की न होकर राजस्व विभाग का है और राजस्व विभाग ने किसानों को पट्टा जारी कर खेती करने का अधिकार दिया है।
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युवा नेता रामेश्वर पुरी गोस्वामी का कहना है कि वन विभाग अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर मासूम और गरीब किसानो को परेशान कर रहा है।वन विभागबले अफसर अपने जंगलों को बचाने में ध्यान न देकर दबंगों से मिली भगत निभा रहे हैं और किसानों को पट्टा प्राप्त राजस्व की जमीन पर खेती करने से रोक रहे है।जबकि किसानों जमीन के किसी भी वृक्ष को नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं ।उल्टा उसकी सुरक्षा कर रहे हैं।रामेश्वर पुरी ने आगे बताया कि किसानों के पट्टा और अधिकार पत्र पर शासन से जमीन का नक्शा बंटांकन करके किसानों को उनकी जमीन दिलाने की मांग संभाग आयुक्त बिलासपुर और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल से किया गई है।यदि मामले में शीघ्र कोई निर्णय लेकर किसानों को उनकी जमीन चिन्हांकित करके नही दिया जाता है तो हाईकोर्ट में याचिका दायर किया जायेगा।