तख़तपुर
ब्यूरो –

अनुकूल परिस्थितियो में सभी साथ निभाते है।लेकिन परिस्थितियां जब विपरीत हो तब ही अपने पराये का पता चलता है।चाहे वह रिश्ता कोई भी हो अपने वही है जो कठीन परिस्थितियो में काम आए।ऐसे ही एक रिश्ते को निभाया है 1996 बैच के पूर्व विद्यार्थियों ने ।अपने गुरु की विपरीत परिस्थितियों में आर्थिक सहायता कर गुरु शिष्य के संबंधों को निभाया है।

कोरोना काल मे जहाँ कई रिश्तों को मारते हुए देखने का दुर्भाग्य मिला है वही कई पुराने संबंध भी जीवंत हो उठे है। प्राइवेट कान्वेंट स्कूल में पढ़े 1996 बैच के छात्रों ने अपने गुरु को इस कोरोना काल के अभावों से जूझते हुए महसूस कर,अपना शिष्य धर्म निभाया है।आर्थिक रूप से कमजोर अपने गुरु का नगद राशि भेंट कर सम्मान किया और अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।गत वर्ष से कोरोना काल में प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों को वेतन के लाले पड़े हैं।ऐसे विपरीत समय में अपने गुरूओं का ध्यान करते हुए उनकी आवश्यकताओं के ध्यान रखकर एक पारिवारिक संतान की तरह खड़ा होना सकारात्मक सोच एवं पहल को दर्शाता है।शिक्षक एक ऐसा वर्ग है जो इस कोरोना काल के अभावों में भी किसी के सामने अपनी व्यथा को नहीं बता सकते और न ही फ्री में मिलने वाली राशन पैकेट के लाईन में खड़े हो सकते।विद्वान शिक्षकों के दिये संस्कारों से प्रेरित होकर कान्वेंट स्कूल के पूर्व छात्रों ने अपने गुरु श्री लक्ष्मीनारायण सिंह ठाकुर जी का सम्मान किया।सम्मान के उपरांत श्री ठाकुर सर की आँखे भर आई और उन्होंने सभी छात्रों को स्नेह और आशीर्वाद दिया।इस अवसर पर अनिल सिंह ठाकुर, ओमप्रकाश निर्मलकर, आशीष गोयल, संतोष सचदेव, नारायण तंबोली, दीपक शर्मा, हुसैन कपासी, सहित उनके बैच के सभी छात्र उपस्थित थे।
