तख़तपुर
राकेश मिश्रा –

कोरोना के लगातार नई ऊंचाईयां छूते और डराते आंकड़ों के बीच कुछ आंकड़े है ,जो आपको राहत का अहसास करा सकते है।इसके लिए आपका सकारत्मक सोंच होना आवश्यक है।प्रदेश और देश मे लगातार कोरोना के दूसरे लहर का कहर जारी है।कोरोना पॉजिटिव मरीजो की संख्या रोज अपने पुराने स्तर को पार कर नए मापदंड तय कर रहा है।प्रशासन और आम जनता के बीच यह आंकड़े भयावहता का प्रसार कर रही है।कोरोना निर्दिष्ट चिकित्सालयों नए मरीजो के लिए बिस्तरों की कमी हो रही है। ऑक्सीजन की आवश्यकता वाले मरीजो की संख्या बढ़ने से होने वाली मौतों की संख्या भी बढ़ रही है।ऐसे में इनका प्रभाव यह हो रहा है कि प्रशासन आम जनता की जान बचाने के लिए सख्ती लागू करने पर विवश हो रहा है। प्रदेश में लगातार दूसरे दिन दस हजार से अधिक नए मामले सामने आए हैं।दुर्ग और रायपुर जैसे बड़े शहरों में लॉक डाउन लगाया जा चुका है और कई शहर आगे इसके लिए तैयारी कर रहे है।प्रदेश में सक्रिय कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की संख्या अभी भी 60 हजार से ऊपर है।जबकि रिकवरी की दर लगातार नीचे गिर रहा है।96 प्रतिशत से गिरकर रिकवरी का दर अभी 84 प्रतिशत पर आ गया है।इसके पीछे भी प्रमुख कारण नए संक्रमितों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि ही है।इन परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि अब कोरोना को काबू करना संभव नही हो पायेगा।फिर भी प्रशासन ने अपने प्रयास में तेजी लाई है हर दिन सराकर के मंत्री और बड़े अधिकारी बैठकें कर समीक्षा कर रहे हैं।नई परिस्थितियों के अनुसार फैसले लिए जा रहे हैं। बाज़ारो के खुलने और बन्द होने के अंतराल में लगातार कमी की जा रही है।पुलिस और प्रशासन कोरोना गाइड लाइन को नही मानने वालों के विरुद्ध सख्ती बरतते हुए चालान काटने और एफआईआर दर्ज करने जैसे कदम भी उठा रहे हैं।

लगातार डराते हुए सामने आ रहे आंकड़ो के बीच कुछ ऐसे आंकड़े भी है,जो डरे हुए मन को राहत का मरहम लगाते है।यह आंकड़े देश-प्रदेश में हो रहे टीकाकरण के हैं जो कोरोना की तरह ही लगातार नई ऊंचाईयां छूते हुए संकेत कर रही है कि यह कठीन समय बस कुछ हफ्तों और महीनों का ही है।देश मे लगातार टीकाकरण में तेजी लाई जा रही है। प्रति दिन टीकाकरण के आधार पर भारत विश्व मे दूसरे स्थान पर आ गया है और अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है।अब केवल चीन ही प्रतिदिन टीकाकरण के मामले में भारत से आगे है,जहाँ प्रतिदिन 50 लाख लोगों को टीके लगाये जा रहे है।भारत भी शीघ्र ही चीन को पीछे छोड़ पहले स्थान पर पहुंचने की ओर अग्रसर है।भारत मे प्रतिदिन टीकाकरण की संख्या 33 लाख पार कर चुका है।अब तक लगभग 9 करोड़ लोगों को टीका लगाए जा चुके हैं।इनमे से एक करोड़ से अधिक को दूसरा डोज भी लग चुका है।वैक्सीन के बाद भी मौत और कोरोना पॉजिटिव आने की संख्या लगभग नगण्य कहा जा सकता है।यदि देश की जनसंख्या के अनुसार प्रतिशत निकालें तो लगभग 6 प्रतिशत जनसंख्या को टीका लगाया जा चुका है।जबकि प्रतिदिन का टीकाकरण रोज बढ़ते हुए यदि 50लाख प्रतिदिन के आंकड़े तक पहुंच जाते हैं तो प्रतिदिन देश की लगभग 0.4 प्रतिशत आबादी को टीके लगाये जाने की ओर पहुंच रहे है ।ऐसे में हर तीसरे दिन देश की एक प्रतिशत जनता को टीका लग चुका होगा।यदि इसे दिनों के साथ जोड़ते जायें, तो आने वाले तीन से चार महीनों लगभग पूरी आबादी को टीका लग जाने की स्थिति में आ जाएंगे।तब हर्ड इम्युनिटी आ जायेगी और संक्रमण धीरे धीरे कमजोर होकर समाप्ति की ओर चला जायेगा ।50 प्रतिशत से ऊपर हर्ड इम्युनिटी किसी भी संक्रामक रोग की घातकता को बहुत ज्यादा कमजोर कर देता है।ऐसे में टीकाकरण की बढ़ती संख्या एक आस बंधाता है कि यह संकट बस कुछ समय के लिए ही है।
यदि छत्तीसगढ़ के विषय मे बात करें तो यह और भी सुकून दायक दिखाई देता है।च्छाट्तीसगर्ह में कुल आबादी के 34लाख 37 हजार जनता को टीका लगाया जा चुका है।तत्पर यह कि कुल आबादी के 13 प्रतिशत को टीका का पहला डोज दिया जा चुका है।वही प्रति दिन 1लाख 29 हजार लोगों को टीका लगाया जा रहा है।यदि कुल आबादी के हिसाब से प्रतिशत देखें तो यह आधे प्रतिशत के आस पास है।यदि इसी रफ्तार से टीकाकरण होता रहे टोनगले छः महीनों में प्रदेश की पूरी जनता को टीका का पहला डोज दिया जा चुका होगा। साठ प्रतिशत से अधिक आबादी दोनों डोज लगवा चुके होंगे।इस तरह देखें तो प्रदेश में अगले चार महीनों में हर्ड इम्युनिटी आ जाने की संभावना है।इससे प्रदेश की जनता के बीच कोरोना नियंत्रण में रहेगा और जन जीवन सामान्य हो जाएगा ।लेकिन तब तक हमे सरकार के साथ खड़े होकर हमारे स्वास्थ्य के लिए निये जा रहे निर्णयों के ईमानदारी से पालन करना चाहिए।
इस बीमारी ने जनता को उसकी जिम्मेदारी का अहसास कराया है।शासन आपके लिए कोरोना से बचने की नीति बना सकता है इलाज के लिए व्यवस्था कर सकता है।लेकिन उसकी भी एक सीमा है।उस सीमा से बाहर शासन भी मजबूर हो जायेगा।इस लिए जनता को ही अपनी जवाबदारी समझनी होगी।फिर चाहे वह कोरोना से बचने मास्क लगाना हो या सामाजिक दूरी का पालन करना हो या टीका लगवाने जाना हो इसके लिए पहल करने की जवाबदारी हमारी है।हम बाहर घूमते हुए कोरोना से बचाने के लिए सरकार का मुंह नही ताक दोषारोपण नही कर सकते।यदि हम बताये गए रास्तों पर नही चलेंगे तो दुर्घटना का शिकार होना लाजमी है।वैसे तो संयम जीवन के हर क्षेत्र में जरूरी है मगर कोरोना से लड़ाई जितनी है तो संयम के साथ हमे शासन का आदेश और निर्देश मानना ही होगा।जब तक समाज मे कोरोना के लिए हर्ड इम्युनिटी नही आ जाती तब तक हमे ही संयम रखकर कोरोना के लिए बताये गए निर्धारित गाइड लाइन का कड़ाई से पालन करना है।मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंस का पालन कड़ाई से करना होगा।कोरोना से इस लड़ाई में जीत की जिम्मेदारी सरकार से ज्यादा जनता के कंधों पर है।
