शिक्षा से वंचित बच्चों के बीच एनजीओ के माध्यम से ज्ञान की अलख जगा रही एक युवती।

बिलासपुर

ब्यूरो –

शिक्षा सबके के लिए आवश्यक है,और इसे मौलिक अधिकार घोषित कर दिया गया है।मगर आज भी हमारे बीच ऐसा वर्ग एयर समाज है, जो रोजी मजदूरी के चक्कर मे पढ़ाई को कहीं पीछे छोड़ दे रहे है।ऐसे लोगो के बीच शिक्षा की अलख जगाने का काम एक एनजीओ के माध्यम से 22 वर्षीय युवती कर रही है।अब उसने 50 बच्चों को उनके सामाजिक परिवेश में जाकर शिक्षित करने का काम कर रही है।

आज़ादी के 75 वे वर्ष की ओर कदम बढ़ाते भारत मे कमजोर आर्थिक और शैक्षणिक परिवेश वाले तक शिक्षा की पहुंच आज भी लगभग न्हीं के बराबर है।इसका सबसे प्रमुख कारण परिवार की आर्थिक स्थिति का कमजोर होना है,जिसके कारण बच्चे भी स्कूल जाना छोड़कर अपने परिवार के लिए अर्थार्जन में लग जाते है।ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ना टेडी खीर है ।शासन भी ऐसे बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा से जोडने के लिए तरह तरह की योजनाये बनाकर इंजीओंके माध्यम से प्रयास कर रही है।

2019 में बने एक ऐसे ही एनजीओ ‘ “कदम ए स्टेप फॉरवर्ड” की संचालिका 22 वर्षीय आँचल तेजाणी झुग्गी झोपड़ी के रहें वाले बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाते हुए ,अकेले ही यह काम करने निकल पड़ीं हैं और आज वह 50 से अधिक बच्चों को लगातार उनके बीच जाकर शिक्षा दे रही हैं।बच्चों को नियमित शिक्षा देने का निरंतर प्रयास कर रही बिलासपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता आंचल तेजाणी कहती हैं, ” झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों की शिक्षा की समस्या भारत की एक बड़ी समस्या है। ढाई साल पहले उन्होंने अपने काम को एक नई दिशा देने को सोचा और मई 2019 में “कदम: ए स्टेप फॉरवर्ड” नामक एनजीओ की स्थापना की। तब से लेकर आज तक वह छत्तीसगढ़ के स्लम बच्चों को शिक्षित करने के रास्ते में आगे ही बढ़ती जा रही हैं।यदि वह अपने जैसे और भी लोगों को गरीब बच्चों को शिक्षा देने के लिए प्रेरित कर पाईं तो एक दिन ऐसा आएगा कि भारत का हर वर्ग पढ़ालिखा होगा और इसी की बदौलत भारत एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में खड़ा होगा।‘कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन हो जाने से वह ढाई सालों में बीच के 1साल तक बच्चों की क्लास नहीं ले पाईं, लेकिन अब वह फिर से नियमित कक्षाएं लेकर बच्चों को पढ़ा रही हैं।इसके लिए बिलासपुर पुलिस बल और स्थानीय सरकार द्वारा कोरोना योद्धा के रूप में उन्हें सम्मानित भी किया गया है। आंचल का कहना है कि आगे यदि उन्हें सरकार से सही मदद मिली तो वह झुग्गी झोपड़ी में पढ़ने वाले बच्चों को और भी काफी कुछ करेंगी।‘’

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