बेलगहना
रविराज रजक
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प्रतिवर्षअनुसार इस वर्ष भी श्री श्री 1008 श्री ब्रह्मलीन स्वामी सदानंद जी महाराज की जयंती 18 जनवरी 2021 को उनके साधक शिष्य संतों के सानिध्य में सिद्ध बाबा परिसर में मनाया जाएगा। वर्तमान में स्वामी जी के ब्रह्मलीन होने के बाद श्री सिद्ध बाबा आश्रम एवं उनके सभी 32 आश्रमों का संचालन स्वामी जी के शिष्य बाल ब्रह्मचारी महात्मा श्री श्री 108 श्री शिवानंद जी महाराज के द्वारा संचालित होता है। उक्त जानकारी आश्रम प्रबंधन समिति के अध्यक्ष बालमुकुंद पांडे के द्वारा दी गई। कारोना काल को देखते हुए श्री सिद्ध बाबा प्रबंध समिति एवं स्वामी सदानंद सेवा समिति के द्वारा उचित प्रबंध किया गया है ।सिद्ध बाबा मंदिर बिलासपुर से कटनी रेल मार्ग पर बिलासपुर से 48 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लंबी लंबी पर्वत श्रृंखला एवं सघन वनों से आच्छादित अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए एवं सिद्ध बाबा के ऐतिहासिक मंदिर के लिए वर्षों से जाना जाता रहा है ,और स्वामी सहज प्रकाश आनंद जी महाराज स्वामी आनंद जी महाराज स्वामी सदानंद जी महाराज एवं स्वामी ओमानंद जी महाराज की तपोस्थली ने इस स्थान के महत्व को दिन पर दिन सर्वाधिक किया। इन संतो क्रम में देखा जाए तो वर्तमान समय के राम मानस साथ मुख्य रूप से परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज एवं शुभम आनंद जी महाराज का ही सानिध्य रहा। संतों की साधना के विषय पर बेलगहना के जन अपने बुजुर्गों से ही जान पाए, जिससे स्वामी अंत आनंद जी महाराज एवं स्वामी सहज प्रकाश आनंद जी महाराज थे। समकालीन संत ब्रह्मलीन स्वामी सदानंद जी महाराज का जन्म से लेकर निर्वाण तक का प्रत्येक दिन विशिष्ट एवं छत्तीसगढ़ क्षेत्र एवं यहां की दीर्घकालीन समय से चली आ रही संत परंपरा को ऊंचाई देने वाली है। महान संत ब्रह्मलीन स्वामी सदानंद जी जन्म बिलासपुर जिला के बिल्हा के पास के धमनी नामक ग्राम के प्रतिष्ठित मालगुजार पंडित त्रिभुवन प्रसाद पांडे जी के घर सन 1923 में हुआ था।माता माया देवी ने अपने बड़े पुत्र के रूप में प्रहलाद का लालन-पालन धार्मिक एवं शिष्ट माहौल में किया ।बचपन से ही रुचि पढ़ने लिखने में खेलने में थी। स्वामी जी बाल्यकाल में ही अच्छे छात्र थे ठाकुर बंसी सिंह चौहान जी, जो स्वामी जी के बाल सखा हैं वह स्वामी जी के बाल्यकाल की विशेषता पर प्रकाश डालते हुए कहते थे कि स्वामी जी में बचपन से ही चमत्कारी शक्तियां थी। लोग अपने अनसुलझे प्रश्न स्वामी जी तक लेकर जाते और उस पर स्वामी जी की दिव्य वाणी यों ने उन्हें बचपन में ही लोगों को अवतारी पुरुष मानने के लिए विवश कर दिया ।9 दिसंबर 2011 को ब्रह्मलीन होना श्री सिद्ध बाबा आश्रम और आध्यात्मिक जगत के लिए अपूर्ण क्षति तो है, किंतु उनके बताए गए मार्ग पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। स्वामी सदानंद जी स्वयं कहा करते थे कि यह मृत्यु लोक है। यहां लोगों का आना जाना लगा रहता है । जैसे बसंत में पतझड़ झड़ते हैं फिर नए कोपलें आती हैं। ठीक इसी तरह सृष्टि का काम भी है शायद इसीलिए स्वामी जी अपनी पंक्ति सदा गुनगुनाया करते थे।
सदा ना स्वासा थीर रहे
सदा ना जिवत कोय
सदानंद संसार में
सुमिरन से सिद्ध होय।