किसानों की गायें मरी है इसलिए मुआवजा पाने का हक है- नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक

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  • Posted by Mishra Ki Mirchi

बिलासपुर

गोविंद सिंगरौल- तख़तपुर के मेड़पार बाजार में 47 गायों की हुई मौत पर अब भाजपा ने प्रदेश सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।आज सांसद विधायको सहित नेताप्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक मेड़पार पहुचे जहां ग्रामीणों ने घटना के विषय मे बताया और जांच अधिकारी एसडीएम द्वारा ग्रामीणों को धमकाने और एफआईआर कराने की धमकी देने का आरोप।भी लगाया।

आज भाजपा के सांसद विधायक,नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के नेतृत्व में मेड़पार बाज़ार में हुई 47 गायो की मौत के मामले की जांच के लिए पहुंचा।इसमे बिलासपुर सांसद अरुण साव, बेलतरा विधायक रजनीश सिंह, मस्तूरी विधायक कृष्णमूर्ति बांधी सहित राष्ट्रीय महिला आयोग की सलाहकार हर्षिता पांडेय ,रामदेव कुमावत,भूपेंद्र सवन्नी शामिल थे।उन्होंने घटना स्थल का निरीक्षण किया और गाँव वालों से बात की।धरम लाल कौशिक ने कहा कि रविन्द्र चौबे पूछ रहे है कि भाजपा शासन काल मे गौशालाओ में मरी गायो के लिये कितना मुआवजा दिए तो उन्हें यह समझना चाहिए कि गौशाला में मरी गाये गौशाला की अपनी गाये थीं और उन्ही की लापरवाही से मरी।दूसरा यह कि गौशालाओ को सरकारी अनुदान दिया जाता है।जबकि मेडपार बाजार में मरी गायें किसानों की है और उनकी मर्जी के बिना एक कमरे में बंद कर दिया गया ।इसलिए किसानों को अपनी मरी हुई गायों का मुआवजा पाने का पूरा हक है।वही मामले में जाँच अधिकारी कोटा एसडीएम के द्वारा ग्रामीणों को धमकाने और उन पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने की बताये जाने पर कहा कि इस बात को हम ऊपर तक लेकर जाएंगे।ग्रामीणों को किसी से भी डरने की जरूरत नही है।यदि किसी को डराया या धमकाया जा रहा है तो यह गलत बात है और निष्पक्ष जांच पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।

सांसद अरुण साव ने कहा कि यह घटना बहुत ही दुखद है।किसी भी जानवर को सभी अपने परिवार के सदस्यों की तरह पालते है।यदि उसकी मृत्यु हो जाती है तो किसी पारिवारिक सदस्य के मृत्यु होंने जैसा दुख होता है। मैं समझ सकता हूँ कि आप लोगो को कितना दुख हुआ होगा।हम सब आपके दुख और संघर्ष में सहभागी है।

राष्ट्रीय महिला आयोग की सलाहकार ने ग्रामीणों से अपील की कि आप सब खुलकर अपनी बात कहें ।किसी के बहकावे और धमकाने से बहकाने या डरने की जरूरत नही है।आपके और गौ माता के साथ हुए अन्याय का पूरा न्याय दिलाने का भरपूर प्रयास करेंगे और इसलिए हमारे अभी स्थानीय और प्रदेश के नेता आपके सामने सारी बात जानने आये हैं।इस अवसर पर घनश्याम कौशिक, कृष्णा कुमार साहू, प्रदीप कौशिक, त्रेतानाथ पांडेय, संतोष कश्यप, अश्वनी साहू , रामकुमार पटेल उपस्थित थे।

ग्रामीण मंगलू राम निषाद का कहना है कि किन-किन लोगों की गाय हैं जानकारी नहीं है ग्रामीण व्यवस्था के तहत खेती के समय जानवरों की व्यवस्था की जाती है ताकि फसल का नुकसान ना हो । उस दिन यहां व्यवस्था व्यवस्था करने वालों का नाम जानकारी होना चाहिए।

अविनाश पात्रे ने बताया कि ग्रामीणों का बयान लेने के लिए आए हुए जांच अधिकारी एसडीएम ग्रामीणों के ऊपर व्यक्तिगत टिप्पणी करते रहे और ग्रामीणों को एफ आई आर की धमकी तक दिए इससे निष्पक्ष जांच होने में शंका है।

विनोद धृतलहरे का कहना था कि 22 तारीख को ही चरवाहा लगाया गया था। कई महीनों से खुली घूम रही गायों को व्यवस्थित करने में कुछ दिन तो लगते ही हैं ।तब केवल 2 दिन में ही किसी की गायों को इस तरह 15*20 के कमरे में बंद कर देना अनुचित था। जिन्होंने भी यह किया है उन को दंड मिलना चाहिए।

पंच मनबोध कैवर्त का कहना था कि ग्रामीणों के साथ बैठक कर निर्णय लिया गया था।चरवाहा लगाया गया था।कोटवार द्वारा मुनादी भी की गई थी।जो भी हुआ ग्रामीणों की आपसी सहमति से हुआ है।

ग्रामीणों के द्वारा लगाए गए आरोप के विषय मे एसडीएम को फ़ोन लगाया गया ।मगर उन्होंने फ़ोन रिसीव नहीं किया

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