इनकी कलम से…

रोहित शर्मा (अधिवक्ता छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय)

हनुमान जयंती और शब ए बारात की शुभकानाएं और आशा है कि वीर पुत्र हनुमान जी हम सबके संकट के मोचक बन कर कोरोना रूपी वैश्विक महामारी को भी जल्द ही नष्ट कर देंगे ।

आज ईस्लाम मे हमारे सभी मुस्लिम धर्मावलंबियों का पवित्र कुरान के अनुसार यह माह शाबान का पाक महीना है। और इस शाबान महिने की 14 तारिख की रात को “शब ए बारात” मनाई जाती है।

शब ए बारात का शाब्दिक अर्थ:-
शब = रात,
बारात = बरी होना होता है।

ये रात इबादत, दिलावत वा शखावत की रात है।
इस रात को Night of Repentence भी कहा जाता है।

आज की रात नमाज, दिलावते कुरान और अपनी अपनी हैसियत अनुसार खैरात निकाल कर बांटने की रात है।

ईस्लाम मे सबसे पाक महीना रमजान का महीना होता है। मुस्लिम धर्मावलंबियों द्वारा रजाब और शाबान के महिनो मे भी रोजा रख कर अल्लाह से दुआ की जाती है की हे अल्लाह हमे रजाब और शाबान के महिनो से पार लगाते हुए रमजान (रमादिन) के पाक महिने को देखने की रजा अता कर ।

कुरान के मुतालिक अल्लाह ताला कहते है की मै इन पांच लोगो को छोड़ कर सबको बक्शीश देता हूं जो इस शब ए बारात की रात को जागते है और गुनाहो के लिये पशचाताप करते है । जिन पांच चिजो को अल्लाह अपने रहमो करम से,अपनी बक्शीश से मेहरुम रखते है वे पांच निम्न है:-

पहला वो जो मुशरिक होता है।
(ईश्वर पर, अल्लाह पर, भगवान पर विश्वास ना करने वाला)। A disbeliever in god,

दुसरा वह जो नफरत करता है । One who keeps hatred in his heart,

तीसरा वो जो गुस्सैल होता है। (जिसमें क्षमा की भावना नही है।) one who is Arrogant and has no forgiveness,

चौथा वो जो हृदय को जिगर को दो भाग मे चीर देता है। one who breaks someones heart,

और पांचवा वो जो शराब या किसी नशे को नही छोड़ देता, ऐसा व्यक्ति भी अल्लाह के रहमो फजल का हक़ नही रखता ।

आज कोरोना रूपी शैतान ने पूरी मानव सभ्यता को खतरे मे डाल दिया है, ऐसे मे शब ए बारात की रात ना केवल इस्लाम को मानने वालो पर बल्कि पूरे मानव जाती को ये सीख देती है की आइये हम अपने गुनाहो का मूल्यांकन करे, अपने अपने ईश से माफ़ी मांगे, और आने वाले कल मे पाप से तौबा (दुरी) करे ।
नेक दिल इंसाँ बने, भारत की सम्पुर्ण विश्व की, प्रकृती की वा मानवता की रक्षा का सँकल्प ले।

और मेरे भारत के भाईयो वा बहनो जिनकी भी इस्लाम मे विश्वास है, जो अल्लाह के कुरान को मानते है, और पैगम्बर साहब की सुन्नत पर अमल करते है उनसे मेरा विशेष आग्रह है की आइये आज “शब ए बारात” की रात को आपसी भाईचारे का दीपक जलाए, अमन का पैगाम अल्लाह का पैगाम है उसे पुरे विश्व की भलाई वा शांती के लिये जियारत करे।

आप जानते है की रमजान का महीना आने वाला है,
जब दो जक के दरवाजे बंद हो जाएंगे,
और जन्नत के दरवाजे खुल जाएंगे ।।

आपको अल्लाह ऐसी तौफीक दे की आपकी आखरी सासें तक नमाज का फर्ज ना छुटे ।

इस रमजान मे अल्लाह के अर्श का आस्माँ मे छा जाना मुक्कमल हो, और corona के विरुध युध्द मे आपकी नमाज अता हो, उसे अल्लाह कबूल करे।

रमजान का शाब्दिक अर्थ होता है जल जाना ।
रमजान के पाक महिने मे अल्लाह उन सबके पापो को जला देता है जो इंसानियत की राह पर चलते है ।

हिंदू वा इस्लाम की संसकृती के सममिश्रण का योग कर आइये आप हनुमान जयंती बनाए और हम शब ए बारात बनाए ।।

उस इश्वर ने ये कहा है की तू मुझे छोड़ कर किसी दुसरे पर विश्वास मत कर ।

परंतु उस इश्वर ने कभी ये नही कहा की मेरे भिन्न नामो मे तु किसी एक नाम से ही मुझे पुकार ।

मै हिन्दुत्व का सिपाही हु, मुझे मेरे हिंदू होने पर गर्व है। और मेरा धर्म और मेरी समझ यही कहती है की सभी धर्म समान है।
भगवान = अल्लाह = ईश्वर = God ।

हा सभी संस्कृतियों मे उस इश्वर को निराकार ही माना गया है।

हिंदू = एकोह्म द्वितीयोनास्ति ना भूतो ना भविष्यति।(ब्रम्ह सूत्र।)

इस्लाम = अल असमा उल हुस्ना (al ‘ asma ul ‘ husna ) verse 59: 22-24(Allah has many beautiful names),

इसाई = Isaiah 43: 11, I – (I am the lord and beside me there is no saviour),

Even the atheist believes in their disbelief, which is a belief in neutrality,(अविश्वास भी एक तरह का विश्वास ही है।)

केवल एक ही दुर्भाग्य है मानव जाति का की हम केवल मै और केवल मेरा विश्वास ही सच्चा, के सिद्धान्त पर चलते है।
यही दुर्भाग्य हमारे आपसी वैमनस्यता का कारण है।

आइये भारत की वैभवशाली विरासत को आत्मसात करिये, इस मिट्टी ने जिस तरह सभी धर्मों को अपनाया और अपना आश्रय दिया, आप सभी यहा की मूल विरासत यहा के हिंदू जीवन शैली वा विश्व बन्धुत्व की प्रथम परिकल्पना और वसुदेव कुटुंबकम की भावना को आत्मर्पीत और आत्मसात करे।
कोरोना के विरूध युध्द को एक परिवार की तरह मिलकर लड़ना होगा और कोरोना को हराना होगा।

(यह लेखक के निजी विचार है)

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