जितेंद्र पांडेय का ब्राह्मण होना पड़ गया भारी ?

बिलासपुर

ब्यूरो

ज़िला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव आज हो रहा है।बिलासपुर से जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए कांग्रेस ने अरुण सिंह चौहान को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी घोषित किया है।इसी के साथ क्षेत्र क्रमांक 6 से जीतकर आये जितेंद्र पांडेय की दावेदारी निराशाजनक परिणाम के साथ समाप्त हो गया।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सदस्यो के चुनकर आ जाने के बाद अध्यक्ष और उपाध्यक्षो के चुनाव के साथ आज अंतिम चरण समाप्त हो जाएगा।आज ज़िला पंचायत अध्यक्षो का चुनाव हो रहा है।बिलासपुर से अध्यक्ष पद के प्रमुख दावेदार जितेंद्र पांडेय के स्थान पर कांग्रेस ने अरुण चौहान का नाम अध्यक्ष के लिए फाइनल कर लिया है।जबकि एक दिन पहले तक जितेंद्र पांडेय रेस में सबसे आगे थे।आज हुई बैठक में अचानक ऐसा क्या हुआ कि उन्हें उम्मीदवारी से पीछे करते हुए अरुण चौहान को प्रत्याशी बनाया गया है?

अगर योग्यता की बात करें तो जितेंद्र पाण्डेय किसी भी स्थिति में अन्य तीन दावेदारों से बीस ही है। पार्टी के प्रति निष्ठा की बात करें या पार्टी के लिए व्यक्तिवत कार्य करने की बात करें किसी भी परिस्थिति में जितेंद्र पांडेय ने पार्टी और उसके निर्देशो से अलग जाकर काम नही किया।यदि दावेदारी में वजन की बात करें तो अन्य दावेदार इनके सामने नही टिकते ।

पहला यह कि वे लगातार दूसरी बार चुनकर ज़िला पंचायत पहुचे है।दूसरा यह कि क्षेत्र के हाई प्रोफाइल सीट पर जीतकर आये है।पूर्व संसदीय सचिव और क्षेत्र के पूर्व विधायक राजू सिंह क्षत्री की पत्नी को बड़े अंतर से एकतरफा हराया है।

व्यक्तित्व की बात करें तो जितेंद्र का दबंग व्यक्तित्व उनको सबसे अलग बनाता है।लॉबिंग की बात करें तो उसमें भी किसी से पीछे नही रहे है।फिर ऐसा क्या है जो जितेंद्र पांडेय के रास्ते का रोड़ा बन गया?

अगर कांग्रेस सरकार में पुरानी नियुक्तियों को देखें तो स्पष्ट लगता है कि शायद जितेंद्र का ब्राह्मण होना उन्हें भारी पड़ गया।क्योंकि यदि मंत्री पद में चयन का मसला हो तो एक से एक धुरंधर ब्राह्मण विधायको के रहते अनपढ़ और कम योग्य लोगो को सिर्फ जातिगत आधार पर मंत्री पद से नवाजा गया है।नगर पालिका निगम में सामान्य सीट पर यदि चाहते तो ब्राह्मणो को भी अवसर दिया जा सकता था।लेकिन रायपुर बिलासपुर दोनो महत्वपूर्ण निगमो में ब्राह्मणों को अवसर नही दिया गया। आज हो रहे ज़िला पंचायत चुनावों में बिलासपुर से जितेंद्र पांडेय का प्रत्याशी नही बनाया जाना कहीं उनके ब्राह्मण होने की कीमत तो नही?

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