पल्स पोलियो अभियान जारी,स्वास्थ्य केंद्र और आंगनबाड़ी केंद्रों में पिलाई जा रही दवा

तखतपुर

संतोष ठाकुर

तखतपुर भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे पल्स पोलियो अभियान के तहत तखतपुर क्षेत्र के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों और आंगनबाड़ी केंद्रों में 0 से 5 वर्ष के बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई जा रही है।तखतपुर नगर में भी बच्चों को दवा पिलाई जा रही है।

हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बच्चों को पोलियो से मुक्त रखने के लिए 0 से 5 वर्ष के बच्चों को विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों, आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में दवा पिलाये जाने की योजना केंद्र सरकार ने बनाई है।इसी के तहत आज देश मे पल्स पोलियो अभियान चलाया जा रहा है।इसमें 0 से 5 वर्ष के बच्चों को पोलियो से बचाव की दवा पिलाई जा रही है।तखतपुर क्षेत्र के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों और आंगनबाड़ी केंद्रों में भी यह अभियान जारी है।नगर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों में भी बच्चों को दवा पिलाई जा रही है।आज नगर पालिका उपाध्यक्ष वंदना ठाकुर ने भी बच्चों को नगर के आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 7 में बच्चों को दवा पिलाई।इस अवसर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रितिकान्ता कुर्रे और आशा ठाकुर साथ रही।

क्यो चलाया जा रहा अभियान?

भारत मे 99 प्रतिशत बच्चों को पोलियो की दवा दी जा चुकी है और वे पोलियो से मुक्त है।27 मार्च 2014 को भारत पोलियो मुक्त देश घोषित हो चुका है।फिर भी इसके वापस आ जाने की संभावनाओं के कारण हर साल भारत सरकार 0 से 5 वर्ष के बच्चो के टीकाकरण और ड्रॉप्स पिलाने के लिए अभियान चलाकर पोलियो डे मनाता है।इस वर्ष यह 19 जनवरी को मनाया जा रहा है।

कैसे दी जाती है दवा?

वैसे तो पल्स पोलियो के लिए ड्रॉप्स पिलाया जाता है ,जिसे दो बूंद जिंदगी की कहा जाता है।मगर पोलियो की दवा दो प्रकार से दी जा सकती है।पहला आई पी वी (इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन)इसे इंजेक्शन लगाकर दिया जाता है इसमें अन्य रोगों के लिए दी जाने वाली दवा भी होती है।दूसरा ओपीवी(ओरल पोलियो वैक्सीन)इसे ही दो बूंद ज़िन्दगी की कहा जाता है।बच्चो को इसे दो ड्राप मुह में डालकर दिया जाता है।

यदि दवा पिलाने से चूक गए तो क्या?

यदि आप किसी कारणवश अपने 0 से 5 वराह के बच्चों को दवा नही पिला पाते है तो परेशान होने की कतई आवश्यकता नही है।आप उसे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में कभी भी ले जाकर दावा पिला सकते है।अभियान के बाद स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर घर जाकर आंकड़े एकत्रित करेंगे। यदि किसी बच्चे को दवा नहीं पिलाई गयी है तो उसे दवा पिलाया जाएगा।

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