तखतपुर
ब्यूरो –

तखतपुर नगर पालिका का ध्यान अपने राजस्व स्रोतों पर नही है इसका खामियाजा यहाँ के कर्मचारियों को वेतन के लिए शासन का मुह ताक कर भुगतना पड़ रहा है।दूसरी ओर शासन का खजाना रिक्त होने के कारण नगर के विकास की गतिविधियां लगभग रुक सी गयी है।फिर भी नगर पालिका के अधिकारी और नगर सरकार में बैठे जनप्रतिनिधि नगर पालिका के राजस्व स्रोतों की ओर ध्यान नही दे रहे हैं।इनमे से राजस्व का प्रमुख स्रोत मवेशी बाजार है,जिसकी नीलामी प्रक्रिया अभी तक शुरू नही किये जाने से और विलंब होना निश्चित है।इससे नगर पालिका को लाखों का नुकसान हो रहा है लेकिन जिम्मेदार मलाई निकालने वालों को खुली छूट दिए हुए है।

नगर पालिका तखतपुर का खजाना खाली पड़ा है।शासन से मिलने वाला अनुदान ही एक मात्र सहारा है।जबकि नगर पालिका के पास राजस्व के कई स्रोत है,जिनसे नगर पालिका की माली हालत कुछ हद तक सुधर सकती है।इनमे से प्रमुख राजस्व की वसूली है। इसके बाद मवेशी बाजार है ,जिसकी पिछले दो वर्षों से नीलामी नही हुई है और इस वर्ष भी अभी तक प्रकिया शुरू नही हुई है।जबकि पूरी प्रक्रिया 1 अप्रैल के पूर्व तक हो जानी चाहिए।नीलामी की प्रक्रिया अभी तक शुरू नही किये जानेके कारण नगर पालिका को हर सप्ताह राजस्व का नुकसान हो रहा है।पूर्व में मवेशी बाजार से सालाना 15 लाख तक के राजस्व की प्राप्ति नगर पालिका को होती थी।अब नगर पालिका के कर्मचारी मवेशी बाजार में दूत्य देकर मात्र 6हजार वसूल कर लाया रहे है।इससे तीन से चार लाख सालाना मिल पायेगा उस पर भी अपने कर्मचारी लगाकर ।वही नगर सरकार के नुमाइंदे वहां अवैध रूप से वसूली कर अपनी जेबें भर रहे हैं।
पहले प्रसिद्ध था यह मवेशी बाजार

तखतपुर का मवेशी बाजार एक समय पूरे देश मे प्रसिद्ध था और यहाँ हर प्रकार के मवेशी बिकने के लिए आते थे।शुक्रवार के पहले ही तखतपुर आने वाले सभी रास्तो पर मवेशियों दल देखे जा सकते थे जो बाजार में बेचे जाने के लिए लाए जाते थे।इसी तरह शनिवार को यहाँ से जाते समय का नजारा होता था।लेकिन अब यह बाजार अव्यवस्था और अवैध वसूली का शिकार हो गया है।अब यहाँ ज्यादातर बकरी बकरे ही बिकने लाये जाते है।गाय बैल,भैंस अब कम आते है।
यह है पूरी प्रक्रिया
मवेशी बाजार नीलामी के लिए मुनादी कराकर बोली लगावाई जाती है।इसके लिए एक सप्ताह पूर्व मुनादी कराया जाता है।यदि अपेक्षित बोली नही आती है तो पुनः मुनादी कराकर दूसरी बार बोली आमंत्रित किया जाता है।फिर भी यदि अपेक्षित बोली नही आती है तो बन्द लिफाफे में निविदा आमंत्रित कराया जाता है।इसमें उच्च भाव देने वाले को ठेका दिया जाता है।लेकिन उसे भी पीआईसी द्वारा अनुमोदित कर शासन के पास भेजा जाता है।इस प्रक्रिया में लगभग एक से डेढ़ माह लग जाता है।लेकिन मैडम इसे हफ्ते भर में पूरा कर लिए जाने की बात कर रही है।

इस विषय मे नेता प्रतिपक्ष ईश्वर देवांगन का कहना है कि मवेशी बाजार की नीलामी नही होने के कारण सालाना नगर पालिका को 8 से 10 लाख से ज्यादा का नुकसान हो रहा है। मवेशी बाजार में सुविधाएं नही होने के कारण यह मवेशियाँ का आना कम हो गया है।इससे नगरपालिका को तो आर्थिक नुकसान हो ही रहा है।व्यापार में होने वाली उन्नतो भी बाधित हो रही है।हमने शीघ्र नीलामी करने और मवेशी बाजार में व्यवस्था सुधारने की मांग की है।

सीधा सवाल
शीतल चंद्रवंशी सीएमओ नगर पालिका तखतपुर
प्रश्न मवेशी बाजार की नीलामी प्रक्रिया अभी तक शुरू नही हुई है?
उत्तर – क्या गाइड लाइन है पता कर रहे हैं।जल्दी ही प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।पूरी प्रक्रिया लगभग सप्ताह भर में पूरी हो जाती है।
प्रश्न – विलंब होने से राजस्व का नुकसान हो रहा है।
उत्तर राजस्व का नुकसान नहीं हो रहा है।हर हफ्ते निकाय द्वारा वसूली की जा रही है।औसतन 6 हजार से नौ हजार तक वसूली आ रही है।
प्रश्न मवेशी बाजार की नीलामी होगी या नहीं?
उत्तर – दूसरे नगरीय निकायों की प्रक्रिया देख रहे है।जहाँ जहाँ पशु बाजार लगता है वहाँ पूछ रहे है।कही भी अभी नीलामी नही हुई है।