तख़तपुर
ब्यूरो-बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की खड़ी रबी की फसल खराब हो गई है।इसके किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है।शासन प्रशासन कोरोना की जंग में व्यस्त है तो किसानों को शासन से मुआवजे की उम्मीद कम ही दिखाई दे रहा है।फिर भी किसान अपनी बात शासन तक आवेदनों और नेताओं के माध्यम से शासन पहुंचा रहे है कि उन्हें कुछ तो राहत दिया जाए।

पिछले दो-तीन महीनों से बदले हुए मौसम के मिजाज ने किसानों को बहुत ज्यादा आर्थिक हानि पहुंचाई है ।पहले अनावश्यक बरसात ने दलहन की फसल को पूरी तरह खराब कर दिया अब उसके बाद लगातार बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों के रबी की धान की फसल को भी पूरी तरह खराब कर दिया है। खेत में खड़े हुए धान पक कर कटने के लिए तैयार थे कि ओलावृष्टि और तेज अंधड़ ने धान की बाली से दानों को खेत मे ही झड़ा दिया और लंबे पेड़ो को जमीन में गिरा दिया है।इसके कारण किसानों की धान की फसल 80 से 90 प्रतिशत तक खराब हो गई है।लाचार किसान अपने खेतों झड़े हुए धान के दानों और गिर गए पौधों को देखकर दुखी होने और अपनी किस्मत को कोसने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे है।

तख़तपुर क्षेत्र के लगभग सभी तरफ के गांवों में किसानों की यही कहानी है ।तख़तपुर के पूरा, बेलपान,धवइहा,हरदी,पकरिया गिरधौना,खैरी ,मोछ,चितावर काठाकोनी,करेली सहित क्षेत्र के कई गांव के किसान अपनी फसल के खराब होने और शासन से किसी प्रकार की कार्यवाह न होते देख निराश नज़र आ रहे है। ग्राम धवइहा के किसानों ने बताया कि 50 से अधिक किसानों का 200 एकड़ से अधिक में लगे धान की फसल खराब हो गयी है।इसके मुआवजे के लिए शासन से उम्मीद तो है लेकिन न तो अधिकारी कोई पहल कर रहे है और न ही नेता किसी प्रकार का सहयोग कर पा रहे है।यही बात क्षेत्र के हर किसान की जुबान पर है। वे तहसील कार्यालय आकर आवेदन कर रहे है।यहाँ से कोई सकारात्मक पहल होते दिखाई नही दे रहा है ,तो।जिला कार्यालय जाकर गुहार लगाने की बात कह रहे है।

रबी का नुकसान खरीफ को भी करेगा प्रभावित
पीछले दो महीने से शासन का पूरा ध्यान कोरोना मैनेजमेंट पर है ।अधिकारी लोगो को राहत सामग्री पहुँचाने और लॉक डाउन को सफल बनाने में लगे हुए है।पीछले सप्ताह भर से दूसरे राज्यो में फंसे मजदूरो की प्रदेश वापसी की भी व्यवस्था की जा रही है।ऐसे में अधिकारियों का ध्यान किसानों की त्रासदी की ओर गया नहीं या ध्यान देना नही चाह रहे है यह तो वही जाने।लेकिन अन्नदाताओं को हुए नुकसान की भरपाई भी आवश्यक है।क्योंकि अभी के नुकसान का असर खरीफ की बुआई में भी किसानों को भुगतना पड़ेगा।अपने पास की जमा पूंजी रबी में इस उम्मीद में लगा दिए कि फसल होगी तो वापस मिल जाएगा ।लेकिन इस ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदा ने उनके रबी की फसल को तो चौपट किया ही है।खरीफ की फसल के लिए होने वाले खर्चे के इंतेजाम की चिंता भी बढ़ा दी है।यदि सरकार कुछ राहत नही देती है तो छोटे किसानों को बहुत ज्यादा आर्थिक बोझ पड़ना और खरीफ का फसल प्रभावित निश्चित हैं।