आदिवासी परिवार ठंड में ठीठुरने को मजबूर, प्रशासन खेल रहा देखा देखी का खेल

छह माह से एक बुजुर्ग आदिवासी परिवार पालिथिन के अधखुले झोपड़े में ठिठुर कर जिंदगी जीने को मजबूर

अधिकारियों को जानकारी देने के बाद भी इस परिवार को राहत नहीं ।

यदि इन्हें नही मिलता है, तो आवास और चिकित्सा जैसी योजनाएं किसके लिए ?

मीडिया ने जाना हाल और की मदद ।

कोटा

सूरज गुप्ता

करगीरोड – कोटा ब्लाक के ग्राम पंचायत करवा के आश्रित ग्राम कटेली पारा में एक बुजुर्ग दंपत्ती पिछले छह माह से पालिथिन के अधखुले झोपडी में ठिठुर कर जिंदगी जी रहा है । गरीब अदिवासी परिवार कि हितैषी सरकार के जिम्मेदार अधिकारीयों की उदासीनता के चलते उन्हें मदद नही मिल पा रही है।प्रशासनिंक अधिकारी इनके विषय मे जानकारी नही होने की बात कहते हुए मामले को देखने की बात कर रहे है।लेकिन इस परिवार को सहायता नही मिल पा रही है।

यह दो सदस्यो का परिवार है बुजुर्ग रतिराम बैगा और उनकी पत्नि श्याम बाई बैगा का । दोनो बुजुर्ग एक दुसरे के सहारे अपने जीवन को जी रहे है । छह माह पहले हुई बारिश ने इनके कच्चे मकान को गिरा दिया।फिर वो कच्चा मकान कभी बना ही नहीं । पटवारी साहब तीन चार बार आए , पंचायत के सचिव साहब भी आए । सहायता और कार्यवाही के नाम पर कुछ सरकारी कागज रंगे गए और फिर सब भूल गए । कच्चे मकान के गिरने से रतिराम की पत्नि उस मलबे में दब गई बाद में सिम्स में कुछ ईलाज हुआ लेकिन हाथ और पैर अभी भी ठीक नहीं हुए ।जिसमे उसकी रही सही पूंजी भी खप गयी।

इन छह माह में इस बैगा परिवार का मकान वैसे ही मलबे के रूप में पड़ा है । कुछ लकडियों के सहारे पोलिथिन का घेरा बनाकर ये बैगा परिवार ठंड में अपना समय काट रहा है । हम बार बार बैगा परिवार इसलिए कह रहे हैं कि छत्तीसगढ़ आदिवासी राज्य है ।यहां की सरकारें आदिवासी के नाम पर ही बनती है और उसी राज्य में आदिवासी की ये दशा है । सी एम भूपेश बघेल आदिवासी हितों की तरफदारी करते नही थकते मगर सरकारी अमला छः माह में बुजुर्ग को कोई सहायता नही से पाया है।वही राज्य की राज्यपाल भी आदिवासी ही है।फिर भी बुजुर्ग दंपत्ति बेघर जीवन बिताने मजबूर है।

प्रधान मंत्री ने आवास योजना शायद इन जैसो के लिए नही है तभी तो इन्हें अभी तक यह लाभ नही मिला पाया है।अगर इसका लाभ इन बुजुर्ग दंपत्ति को नही मिलता है तो ऐसी आवास योजना का क्या करना ?फिर ऐसी योजनाए किसके लिए है,जो ऐसे परिवार को नही मिल पा रही । ऐसे ही परिवार के लिए चिकित्सा और पेंशन के साथ दर्जनों योजनाएं हैं तो फिर इन तक क्यों ये योजना नहीं पहुंच पाई ।

बुजुर्ग दंपत्ती का हाल जानने करवां पंचायत के कटिलीपारा में कोटा मिडिया सेे सुरज गुप्ता , विकास तिवारी के साथ प्रकाश होण्डा केेेे संचालक प्रकाश जयसवाल और पत्रकार रितेश गुप्ता एवं हेमा भवसागर बुजुर्ग दंपत्ती से मिलने पहुंचे । ये अपने साथ इस परिवार के लिए गद्दे , कंबल , स्कार्फ , स्वेटर , दास्ताने , मोजे और एक माह का पूरा राशन लेकर उनकी कुछ मदद की उनका हाल जाना उनसे बातचित की ।

कोटा जनपद सीईओ संध्यारानी कुर्रे से इस बारे में बात की गई तो उनका वहीं जवाब था देखवाती हूं क्या मामला है ।

आनन्द रूप तिवारी एसडीएम कोटा का कहना था –बरसात की वजह से यदि घर टूटता है तो मुआवजा राशि दी जाती है।मामला पांच छह माह पहले का है जिसकी जानकारी अभी बता रहे हो।मामले की जानकारी लेकर प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

अब साहब को कौन बताये कि यदि आप तक यह जानकारी छः महीने में भी नहीं पहुँची है तो दोष बुजुर्ग दंपत्ति का नही ।कही न कहीं आपके अमले और मातहतों की कमजोरी और अनदेखी है ।जो इन्हें आज तक सहायता नही मिल पाई है।

प्रकाश जायसवाल कोटा- शासन की महत्वपूर्ण योजना का लाभ बूजुर्ग दंपत्ती को नही मिल पाना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है इससे सरपंच सचिव और जिम्मेदार अधिकारीयों की लापरवाही उजागर होती है हमने वहां जाकर स्थिति देखी है । अधिकारियों को जल्द ही इस दंपत्ति को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाना चाहिए ।

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