वैक्सीन के रिजर्वेशन पर हाई कोर्ट की सरकार को फटकार, दो दिन में मांगा जवाब।

बिलासपुर

ब्यूरो –

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कोरोना वैक्सीन लगाने में अन्त्योदय कार्डधारियों को प्राथमिकता दिए जाने के विरूद्ध दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है।हाइकोर्ट ने कहा है कि एसीएस को इस तरह का आदेश जारी करने का अधिकार ही नही है।एसीएस के आदेश को गलत बताते हुए माननीय न्यायालय ने कहा कि बीमारी अमीर गरीब देखकर नही हो रही है इसलिये वैक्सीन लगाने के लिए इस नीति को नही अपनाया जा सकता।शासन स्पष्ट नीति बनाकर दो दिनों में जवाब प्रस्तुत करें।मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।

कोरोना वैक्सीनेशन के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अन्त्योदय कार्ड धारियों को वरीयता दिए जाने पर स्वतः संज्ञान सहित ,दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस के डिवीजन बेंच ने आज सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।हाई कोर्ट ने शासन से कहा है कि वैक्सीनेशन पर निर्णय कैबिनेट स्तर पर होना चाहिए था ।एसीएस को इस तरह के आदेश जारी करने का अधिकार नही है।राज्य सरकार भी इस तरह के मामलों में केंद्र सरकार की गाइड लाइन के विपरीत निर्णय नही ले सकता है,और न ही डब्लूएचओ के विरुद्ध किसी वर्ग विशेष को लाभान्वित नही किया जा सकता है।

याचिकाकर्ता वकीलों ने दिया तर्क

इसके पूर्व याचिकाकर्ताओ की ओर से अधिवक्ताओं अनुमय श्रीवास्तव, राकेश पांडेय, अरविंद दुबे और सिद्धार्थ पांडेय ने कोर्ट को बताया कि शासन द्वारा टीकाकरण के लिए पहले अन्त्योदय, बीपीएल ,एपीएल उसके बाद सभी को टीका लगाने का क्रम बनाया गया है जो असंवैधानिक और मूल अधिकारों के विपरीत है।इससे वैक्सीन की बर्बादी हो रही है,जो किसी दूसरे को लागये जा सकते है।राज्य सरकार गरीब तबके के ऐसे लोगो जिनके पास मोबाइल और इंटरनेट नहीं है उनके लिए सहायता केंद्र खोलकर सुविधाएं दे सकती हैं। ऐसे लोग सहायता केंद्रों में जाकर अपना पंजीयन कराकर वैक्सीन लगवा सकते हैं। आपदा प्रबंधन अधिनियम में भी इस तरह के किसी को इस तरह संरक्षित किये जाने का उल्लेख नहीं है।

महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने यह दिया जवाब

शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत करते हुए महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने बताया कि गरीब तबके में जागरूकता की कमी है।उनके पास मोबाइल और इंटरनेट जैसी सुविधाएं नहीं हैं। उसके अलावा राज्य शासन के पास वैक्सीन भी कम है। गरीब तबके के लोग लॉकडाउन में भी घर से बाहर निकलते हैं, इसलिए उन्हें पहले वैक्सीन लगाने का निर्णय शासन के द्वारा लिया गया है। ताकि गरीब तबके के लोगों के बाहर निकलने पर भी संक्रमण ज्यादा ना फैले।

हाई कोर्ट ने दो दिन का दिया समय

महाधिवक्ता के इस जवाब पर माननीय न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि लगभग में लोगों को घर से बाहर निकलने से रोकने की जवाबदारी शासन की है । यदि आप किसी वर्ग विशेष को लाभ देने का आदेश जारी करते हैं तो उसका उचित आधार आदेश में स्पष्ट उल्लेखित होना चाहिए ,जो कि इस आदेश में नहीं है। कोरोना अमीर गरीब देखकर संक्रमित नहीं कर रहा है। यह सभी को समान रुप से संक्रमित कर रहा है अतः वैक्सीन लगवाने का अधिकार सभी को होना चाहिए। शासन कोई स्पष्ट रणनीति बनाकर दो दिन के अंदर अपना जवाब प्रस्तुत करें।मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।

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