प्रसाधन की सुविधा के बिना आवासीय प्रशिक्षण,स्वच्छ भारत मिशन की उड़ती धज्जियां।

तखतपुर

ब्यूरो –

दुसरो को स्वच्छता और स्वास्थ्य का पाठ पढ़ाने वाला स्वास्थ्य विभाग खुद कितना सजग है ।इसका एक उदाहरण ग्राम पूरा में चल रहे मितानिन प्रशिक्षण में जाकर देखा जा सकता है।प्रशिक्षण ले रही मितानिनों को प्रसाधन की सुविधा मुहैय्या नही कराई गयी है।इसके चलते वे खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है।एक दो दिन की बात हो तो समझ मे भी आती है लेकिन यह प्रशिक्षण सप्ताह भर का होने के कारण स्वास्थ्य महकमे के कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।स्वास्थ्य विभाग के इस निर्णय से मितानिनों के प्रति उनके मन मे सम्मान का अंदाजा लगाया जा सकता है।

विकाखण्ड के तीन अलग अलग केंद्रों में 470 मितानिनों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा 25वें चरण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।सात दिवस तक चलने वाला यह प्रशिक्षण गनियारी, बेलटुकरी और ग्राम पंचायत पूरा में संचालित किया जा रहा है।इसमें अव्यवस्था के आलम यह है कि ग्राम पंचायत पूरा में चल रहे प्रशिक्षण में रुकने वाली मितानिनों के लिए प्रसाधन की व्यवस्था नही है,और उन्हें अपनी नित्य क्रियायों के लिए बाहर जाना पड़ रहा है।यह हम नही कह रहे प्रशिक्षण में आई मितानिनों ने बताया है।वही अधिकारी एक दूसरे पर बात डाल रहे है और जांच करने की बात कर रहे है।

मितानिनों को स्वास्थ्य स संबंधित प्रशिक्षण के 25 वें चरण के तहत ग्राम पंचायत पूरा के पूर्व माध्यमिक शाला में चल रहे प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण ले रही मितानिनों के लिए सुविधा इनाम की कोई चीज ही नही है।सबसे ज्यादा आवश्यक प्रसाधन की सुविधा ही उन्हें उपलब्ध नही है।एक तरफ तो स्वास्थ्य विभाग ही आम लोगो को स्वच्छता का पाठ पढ़ाते हुए खुले में शौच जाने से मना करता है।दूसरी ओर खुद ही प्रशिक्षण में आई मितानिनों के लिए प्रसाधन की सुविधा नही दे पा रहा है और मितानिने खुले में मैदान जाने को विवश है।पूर्व माध्यमिक शाला पूरा में संचालित किए जा रहे प्रशिक्षण केंद्र में कुल 80 से 100 मितानिनें प्रशिक्षण चल रहा है।इनमे से जो आस पास की है वे रात को अपने घर चली जाती है।लेकिन जो अपने घर नही जा सकती वे स्कूल भवन में ही रहती है।उन्हें यहाँ अपनी दैनिक क्रियाओ के लिए बाहर मैदान में जाना पड़ रहा है।वही खाने पीने की व्यवस्था भी ठीक नही है।मितानिनों ने बताया कि दो दिन में भोजन में कभी कुछ मिला तो कभी कुछ नही मिला।इसके लिए जिम्मेदार जवाब देते है कि बचाकर फेंकने से अच्छा है कि कम बनाया जाए।सीधा सीधा मतलब ठेकेदार को फायदा पहुंचाने का है।वही पहले किये गए प्रशिक्षण का मानदेय भी आधा ही मिला है,आधा आना बाकी है ।कब आएगा पता नही?

जिम्मेदारों का कहना है!

इस विषय मे विकासखंड चिकित्सा अधिकारी डॉ निखिलेश गुप्ता का कहना है कि
प्रशिक्षण कार्यक़म की सारी जवाबदारी जिला समन्वयक की है।वही सारी बातें बता सकते है।रही बात अव्यवस्था की तो कल मैं जाकर देख लेता हूँ।

मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ प्रमोद महाजन का कहना है कि ट्रेनिंग स्थल पर व्यवस्थाये पर्याप्त होनी चाहिए।अगर ऐसी व्यवस्था नही की गई है तो ये संबंधित अधिकारीयो की जिम्मेदारी है। यह मामला मेरे संज्ञान में आया है। मैं इस पर खंड चिकित्सा अधिकारी से रिपोर्ट तलब करूँगा और जांच का निर्देश जारी कर रिपोर्ट लूंगा।

वही प्रशिक्षण कार्यक्रम के जिला समन्वयक उमेश पांडेय का कहना है कि
मैं कल ही सारी व्यवस्था करके आया हूँ।पास ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन है उसमें शौचालय की व्यवस्था है।मितानिनों को कह गया था कि वे चाहें तो वहाँ रुक सकती है।अब पता नही वे ऐसा को कह रही है।एक बार फिर कल जाकर देखता हूँ और कारण पूछ लेता हूं।भोजन केलिए ठेकेदार द्वारा व्यवस्था की जा रही है।मेरा काम केवल प्रशिक्षण की विजय वस्तु उपलब्ध कराना है।बाकी सारी सुविधायें उपलब्ध कराना ठेका एजेंसी का काम है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *