संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल को मिला छ. ग.माशिमं के दैनिक वेतनभोगी कर्मियों का साथ।

बिलासपुर

ब्यूरो –
छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य संविदा कर्मियों के हड़ताल को छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल रायपुर के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के संघ द्वारा नैतिक समर्थन दिया गया है ।शासन से उनकी मांगों को पूर्ण करने की मांग की है । छत्तीसगढ़ के संविदा स्वास्थ्य कर्मी अपनी नियमितीकरण और समान काम और वेतन भत्ते की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं, जिसे आज छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के दैनिक वेतन भोगी कर्मियों के संघ द्वारा नैतिक समर्थन दिया गया है।

छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल रायपुर के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के संघ द्वारा प्रदेश में 19 सितंबर 2020 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए स्वास्थ्य संविदा कर्मचारियों के हड़ताल का नैतिक समर्थन किया है। संघ के प्रदेश सचिव जितेन्द्र सिंह ठाकुर ने बताया है कि प्रदेश सरकार युवा बेरोजगारों का शोषण कर रही है और वर्षों से कार्य कर रहे लोगों को नियमित कर उनका अधिकार देने में आनाकानी कर रही है। शासन के लगभग सभी विभागों में अधिकांश कर्मचारी दैनिक वेतनभोगी या संविदा पर हैं, जिनका शोषण किया जा रहा है। सरकार अपने सारे काम संविदा कर्मियों से करवा रही है किंतु सुविधाएं और वेतन भत्ते देने में आनाकानी कर रही है।शासन के लगभग सभी विभागों में नियमित कर्मचारियों की संख्या गिनती की रह गई है और सारे काम अनियामियत कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है। लेकिन सरकार उन्हें वर्षो काम करने के बाद भी नियमित नही कर रही है।इससे अनियमित कर्मचारियों के अंदर भविष्य को लेकर असुरक्षा को भावना पैदा हो रही है।कोरोना काल मे संविदा में काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मी नियमित कर्मचारियों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।ऐसे कर्मचारियों को कोरोना से होने वाले नुकसान के लिए किसी भी प्रकार की सुरक्षा नही दिया जा रहा है।दूसरी ओर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले इन कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा रहा है, जिसे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के द्वारा उचित कार्यवाही बताया जा रहा है ।इस बात की हम घोर निंदा करए है और हमारा नैतिक समर्थन उनके साथ घोषित करते है।आज वर्तमान स्थिति में सरकार सभी स्तर के काम अनियमित कर्मचारियों द्वारा ही पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से किया जा रहा है। इस बात से सरकार भी अवगत है लेकिन अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने की कोई पहल नहीं किया जा रहा है। यह बहुत ही खेद का विषय है ।जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी एसएलपी के निर्णय में समान काम समान वेतन का फैसला पारित किया है।अतः सरकार को इस विषय पर जल्द से जल्द अपने चुनावी घोषणा पत्र लिए गए वादे का अनुपालन कर नियमितीकरण की कार्यवाही किया जाना चाहिए ।

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