मुंगेली
महेश कश्यप
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लोक कला में गायन कर प्रदेश और देश का मान बढ़ाने वाली भरथरी गायिका स्व.सुरुज बाई खाण्डे को पद्मश्री दिए जाने की मांग एक बार फिर उठी है।लोरमी क्षेत्र के जनपद सदस्य ने केंद्रीय गृहमंत्री के नाम लिखे पत्र में इसकी मांग की है।इसके पूर्व प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज भी यह सम्मान स्व.सुरुज बाई को दिए जाने की मांग कर चुका है।
छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध भरथरी गायिका स्व.सुरुज बाई खाण्डे को मरणोपरांत पद्मश्री सम्मान दिए जाने की मांग बलवती हो गयी है।विभिन्न क्षेत्र के व्यक्तियों और संगठनों के लोगो द्वारा उन्हें पद्मश्री दिए जाने के लिए नाम भेजने की मांग छत्तीसगढ़ सरकार से की जाती रही है।इस बात को लेकर लोरमी जनपद पंचायत के सदस्य और क्षेत्र क्रमांक 10 के जनपद प्रतिनिधि कुलेश्वर साहू ने कलेक्टर के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखा है।इसमे स्व. सुरुज बाई खाण्डे को पद्मश्री सम्मान दिए जाने की मांग की गई है।पत्र में बताया गया है कि स्व. गायिका ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोक कला भरथरी की प्रस्तुति देकर देश का मान बढ़ाया है। वे छत्तीसगढ़ की स्वर कोकिला के नाम से भी जानी जाती थी।उन्हें भरथरी के अलावा, ढोलामारु, चंदैनी,पंथी और आल्हा ऊदल के गायन का भी ज्ञान था।भरथरी के वेदमती(बैठकर) और कापालिक(खड़े होकर) दोनो पद्धति के गायन शैली का ज्ञान था और वे दोनों ही शैलियों में प्रस्तुति देती थी।छत्तीसगढ़ और तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार द्वारा उन्हें विभिन्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।जिनमे रामचंद्र देशमुख सम्मान, स्वर्गीय देवदास बंजारे स्मृति सम्मान,बिसाहू दास महंत कला साधना सम्मान,भास्कर वीमेन ऑफ द ईयर सम्मान से सम्मनित किया गया था।स्व.सुरुज बाई खाण्डे ने भरथरी जैसी लोककला को विलुप्त होने से बचाया है।अतः उन्हें पद्मश्री सम्मान पाने का पूरा अधिकार था जो उन्हें उनके जीवन काल मे नही मिला। किन्तु मरणोपरांत भी उन्हें यह सम्मान देकर उनकी अंतिम इच्छा पूरी कर सकते है।साथ ही अन्य लोक कलाकारों को भी संदेश दे सकते हैं कि लोक कला का सम्मान हमारे समाज और शासन प्रशासन के बीच हमेशा रहेगा।किसी भी लोक कलाकार को हतोत्साहित होने की आवश्यकता नही है।