लोरमी
महेश कश्यप-
छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय पारंपरिक त्योहार भोजली हर्षोल्लास और पूरे उत्साह से मंगलवार को मनाया गया। मोहतरा कुर्मी ,देवरहट ,बोईरपारा,हरनाचाका औराबंधा में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया।तालाब में भोजली का विसर्जन कर आपसी विनिमय कर मित्रता का बंधन स्वीकार किया गया।
छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक धरोहरों में एक भोजली पर्व है।यह पर्व दोस्ती और भाई चारे का संदेश देता है।छत्तीसगढ़ की परंपरा अनुसार यदि एक बाद किसी से भोजली अदला बदली कर मित्रता कर ली तो फिर उसे जीवन भर निभाते है।यही नही जिसके साथ मित्रता की हो उसका नाम भी नही लेते ।उसे ‘मितान’ या ‘महाप्रसाद’ कहकर संबोधित करते हैं।आज इसी पर्व को पुनः मनाया गया।लोरमी क्षेत्र के मोहतरा कुर्मी ,देवारहट ,बोईरपारा हरनाचाका औराबंधा यह त्योहार हर्षोल्लास और पूरे उत्साह से मंगलवार को मनाया गया ।गाँव में लड़के-लड़कियां, युवतियां सभी भोजली विसर्जन करने के लिए निकली ।सभी के मुख पर हर्ष और अधरों पर भोजली गीत ‘देबि गंगा, देबि गंगा,चलत तुरंग…’ था।तालाब में जाकर भोजली को विसर्जित किया और भोजली आपदां प्रदान कर मित्रता की सौगंध ली।