मेड़पार में 45 गायों की मौत!दोषी कौन?गलती किसकी?

  • 0
  • Posted by Mishra Ki Mirchi

बिलासपुर

गोविंद सिंगरौल – तख़तपुर जनपद क्षेत्र के ग्राम मेड़पार बाजार में 45 मवेशियों के मरने की खबर से प्रशासन सकते में आ गयी है।मवेशियों के मरने का कारण क्षमता से अधिक मवेशियों को एक ही कमरे में बंद कर देना है।प्रशासन ने इसकी जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही किये जाने की बात कही है।अतिरिक्त कलेक्टर की अध्यक्षता में एक जांच टीम गठित कर दी गयी है।वही हिर्री थाने में अज्ञात लोगों के विरुद्ध पशु क्रूरता अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध दर्ज कर लिया गया है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार तख़तपुर जनपद के ग्राम पंचायत मेड़पार बाजार में बीती रात 45 मवेशियों की मौत हो गयी है।इतनी अधिक संख्या में एक साथ मारने का कारण उन्हें एक छोटे कमरे में क्षमता से अधिक संख्या में भरे जाने से दम घुटना बताया जा रहा है।ग्रामीणों और अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम सरपंच और अन्य नागरिकों ने कृषि का समय होने के कारण दो दिन पूर्व गाँव में मुनादी कराई थी कि सभी गौ पालक अपने मवेशी घर मे बांध कर रखे।लेकिन गाँव वालो ने अपने मवेशी खुला ही छोड़ दिया था।खेतो में लगे फसल को नुकसान से बचाने के लिए गाँव मे खुले घूम रहे सभी मवेशियों को पुराने ग्राम पंचायत भवन में बंद कर दिया गया।लेकिन इस बात का ध्यान नही रखा गया कि एक छोटे से कमरे 70 से 75 मवेशी कैसे आ सकते है।यही चूक मवेशियों के लिए जान लेवा साबित हुआ और कमरे में घुसाए गए मवेशियों में से कुछ जिंदा बचे तो वही 44 मवेशियों की मौत हो गयी।इनमे दूध देने वाली गाये,बछड़े, बैल सभी शामिल है।प्रशासन ने अज्ञात लोगों के विरुद्ध पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 13 और आईपीसी की धारा 429 के तहत हिर्री थाने में अपराध दर्ज कर लिया गया है।साथ ही अतिरिक्त कलेक्टर की अध्यक्षता में जाँच कमेटी गठित कर दी गयी है।

पुराना पंचायत भवन

क्यों हुई घटना


अभी कृषि कार्य का समय है खेतो में फसल बुआई का कार्य चल रहा है।धान के पौधे तैयार हो रहे हैं।ऐसी परिस्थिति में खुले घूम रहे मवेशी द्वारा फसलों की चराई से धान की फसल को नुकसान होने का खतरा रहता है।इसी से बचने के लिए मेड़पार बाजार में सरपंच द्वारा गौ मालिको के लिए अपने पशु घर मे बांध कर रखने की मुनादी कराई गई थी।लेकिन कुछ गौ मालिक अपनी गायों को खुला ही छोड़ दिये थे।इन्ही मवेशियों को गाँव के लोगो ने पंचायत प्रतिनिधियों के नेतृत्व में पुराने पंचायत भवन में बंद कर दिया,जहाँ दम घुटने से उनकी मौत हो गयी।अब यह घटना क्यों घटी ? किसका दोष? जवाबदारी किसकी?ऐसे कुछ प्रश्न है जिनके जवाब खोजे जा रहे हैं ।प्रशासन ने अतिरिक्त कलेक्टर की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित कर दी है।वे जांच कर तथ्य शासन के सामने रखेंगे। इन प्रश्नों के उत्तर में सबसे ज्यादा दोषी वे गौ मालिक ही है जो अपने पालतू पशुओं को बेसहारा बाहर घूमने और मार खाने के लिए छोड़ देते हैं।यदि वे अपने पशुओं को अपने घर मे रखते तो शायद यह नौबत ही न आती कि उन्हें एक कमरे में किसी के द्वारा बन्द किया जाता।प्राप्त जानकारी के अनुसार मरी हुई गायें गाँव वालों की ही है,जिन्होंने चरवाहे के लाने के बाद शाम को उन्हें खुला छोड़ दिया था।कल रात उनकी मौत एक बन्द कमरे में दम घुटने से हो गयी।

दूसरा दोषी वह व्यक्ति हैं, जिसने जानते बुझते हुए एक छोटे से कमरे में जहाँ मुश्किल से 8-10 गाय रखे जा सकते है वहाँ 60 से 65 गायों को क्रूरता पूर्वक रखा।

कुछ दोष प्रशासन का भी है ,जिसने गांवों में खुले में घूमने वाले मवेशियों के लिए कोई ठोस व्यवस्था नही की है।मेड़पार कि बात करें तो यहां न कांजी हाउस है और न ही गौठान है।खुले में घूूूम कर फसल को नुकसान पहुंचाने वाले मवेशियों को कहाँ रखे।यह भी समस्या है इसी के चलते आज इतनी बड़ी घटना घट गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *