बिलासपुर
ब्यूरो- राज्य शासन ने नगरीय क्षेत्रों में आवासीय और व्यावसायिक भूमि कें उपयोग और आबंटन को लेकर बड़ा निर्णय लिया है।इसमे 7500 वर्ग फ़ीट जमीन तृक के आबंटन का अधिकार कलेक्टर को दे दिया गया है।सातः हिंप्रक्रिया की सरल बना दिया गया है।इसका लाभ नगरीय क्षेत्र के कब्जाधारियों और अन्य व्यावसायिक व्यक्तियों को मिलेगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूमि पर काबिज लोगों के साथ ही अन्य लोगों को आवासीय अथवा व्यावसायिक या अन्य प्रयोजन हेतु शासकीय भूमि के आवंटन एवं व्यवस्थापन के संबंध में छत्तीसगढ़ राजस्व पुस्तक परिपत्र के खण्ड चार-एक एवं खण्ड चार-2 के प्रावधानों में आंशिक संशोधन करते हुये कलेक्टर को अधिकार दे दिए गए है। नगरीय क्षेत्रों में 7500 वर्गफीट तक शासकीय भूमि का 30 वर्षीय पट्टे पर आवंटन तथा अतिक्रमित शासकीय भूमि के व्यवस्थापन का अधिकार भी कलेक्टरों को दिया गया है। 7500 वर्गफीट से अधिक शासकीय भूमि के आवंटन तथा अतिक्रमित शासकीय भूमि के व्यवस्थापन का अधिकार राज्य सरकार को होगा।
नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा अधिसूचित विकास योजना के अनुरूप ही नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूमि का आवंटन तथा अतिक्रमित शासकीय भूमि का व्यवस्थापन हो सकेगा। नगरीय निकायों को व्यावसायिक प्रयोजन के लिए भू-खण्ड का आवंटन हेतु प्रब्याजि का निर्धारण प्रचलित गाईड लाइन के 25 प्रतिशत के बराबर मूल्य पर किया जाएगा। शासकीय भूमि का आबंटन किसी व्यक्ति या संस्था को करते समय देय प्रब्याजि का निर्धारण प्रचलित गाईडलाईन के आधार पर किया जाएगा। इसी तरह किसी शासकीय भू-खण्ड के आवंटन हेतु दो या दो से अधिक व्यक्ति अथवा संस्था का आवेदन प्राप्त होने नीलामी के माध्यम से सर्वाधिक बोली लगाने वाले को किया जाएगा। राज्य शासन ने भूमि स्वामी या पट्टेदार को भू-भाटक की अदायगी के मामले में भी विशेष रियायती दी है। भू-भाटक की राशि का 15 वर्ष का एकमुश्त भुगतान करने पर भूमि स्वामी या पट्टेदार को आगामी 15 वर्ष (16वें वर्ष से 30वें वर्ष तक) के भू-भाटक से छूट रहेगी। शासन की इस रियायत से प्रति वर्ष भू-भाटक के भुगतान की कठिनाईयों से भी लोगों को राहत मिलेगी।
सचिव राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि जिला स्तर पर शासकीय भूमि के आवंटन एवं अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन के संबंध में सभी कलेक्टरों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं। कलेक्टर भूमि आवंटन एवं व्यवस्थापन के मामले में केवल ऐसी भूमि का ही आवंटन कर सकेंगे, जिसे लोक बाधा, स्वास्थ्य सुरक्षा, जन सुविधा, लोक प्रयोजन तथा पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से सुरक्षित रखने की आवश्यकता न हो। आवंटन योग्य भूमि का चिन्हांकन कर भुईंया सॉफ्टवेयर में अपलोड कराकर शासकीय विभागों को उक्त भूमि की आवश्यकता के संबंध में प्रस्ताव प्राप्त कर आवंटित किया जाएगा।