बिलासपुर
ब्यूरो- केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा कल 20 लाख करोड़ के पैकेज का दूसरा भाग प्रस्तुत किया गया।इसमे वन नेशन वन राशन कार्ड योजना लागू करने की बात कही है।क्या है वन नेशन वन कार्ड योजना ?इसके क्या लाभ है?क्योंकि यह आम गरीब जनता से जुड़ी योजना है इसलिए इसकी जानकारी आमलोगों तक पहुंचना भी आवश्यक है।MKM दे रहा है यह जानकारी पढ़िये पूरी खबर।
क्या है ‘एक देश एक राशनकार्ड योजना’
देश मे कई राज्यो के लोग दूसरे राज्यो में मजदूरी और दूसरे कार्य के लिए जाते है।लंबे समय तक रुकने के कारण वहाँ उन्हें राशन बाज़ार मूल्य पर बाजार से खरीदकर खाना पड़ता है।जबकि उन्हें खाद्य सुरक्षा कानून 2013 के तहत सस्ते राशन पाने का अधिकार होता है।लेकिन राशन कार्ड दूसरे राज्य का होने के कारण शासकीय उचित मूल्य के दुकान से राशन नही मिल पाता है।इससे मजदूरों पंर आर्थिक बोझ पड़ता है।इसी समस्या को दूर करने के लिए एक देश एक राशन कार्ड योजना को लाया गया है।इस योजना के अंतर्गत प्रवासी मजदूरों और लोगो को दूसरे राज्यो और केंद्र शासित प्रदेशों में भी शासकीय उचित मूल्य की दुकान से सस्ते में अनाज मिल सकेगा ।यह योजना उन लोगो को लाभान्वित करेगी,जिन्हें खाद्य सुरक्षा अधिनियम के द्वारा सब्सिडी आधारित खाद्य प्रदाय के लिए चिन्हित किया गया हैं।
प्रमुख बातें
- प्रवासी मजदूर इस योजना में देश के किसी भी उचित मूल्य राशन दुकान से सस्ते दर पर राशन ले सकेंगे।
- इस योजना में मजदूरों को दो रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं और तीन रूपये प्रति की दर से चावल मिलेगा।इसमे केवल केंद्रीय सब्सिडी का लाभ मिलेगा।मजदूर राज्यों की सब्सिडी का लाभ नही ले पायेंगे।
- सभी का राशन कार्ड आधार कार्ड से लिंक रहना चाहिए।
- देश के 77 प्रतिशत उचित मूल्य दुकानों में यह सुविधा मिलेगी ।
- इस योजना में खाद्य सुरक्षा अधिनियम में अधिसूचित लाभार्थियों के 85 प्रतिशत तक के हितग्राही समाहित किये जा सकेंगे।
व्याहारिक लाभ और समस्या
- इस योजना के अमल में आने से मजदूरों को अपने गृह राज्य से बाहर अपनी पहचान बताने और नया राशन कार्ड बनवाने की समस्या दूर होगी।साथ ही शासन के रिकॉर्ड में राशन कार्डों की संख्या में भी कमी आएगी।अभी प्रवासी मजदूर के नाम पर अपने गृह राज्य में राशन कार्ड तो होता ही है।लंबे समय तक प्रवास में रहने पर दूसरे राज्यो में भी कार्ड बनवा लेते है।इससे एक ही व्यक्ति के नाम पर एक से अधिक राशन कार्ड बन जाता है।इस योजना से एक से अधिक राशन कार्डो की संख्या में कमी आएगी।
- मजदूर अपने प्रवासी राज्य में राशन पाएंगे तो उसके पारिवारिक सदस्य गृह राज्य में उसी राशान कॉर्ड से राशन ले पाएंगे।
- दूसरे राज्यो में राशन लेते समय व्यवहारिक समस्या यह आएगी कि हर राज्य के पीडीएस के अपने नियम है इससे भ्रष्टाचार और बढ़ेगा।दुकानों में भीड़ बढ़ेगी और राशन का स्टॉक जल्दी खत्म हो जाने से मूल निवासियों को राशन की अनुपलब्धता भी उपत्पन्न हो सकती है।निर्धारित मात्रा और गुणवत्तापूर्ण राशन मिलने में संशय के साथ प्रवासी मजदूरों को दुर्व्यवहार और भेदभाव का सामना करना पड़ सकता है।