बिलासपुर
ब्यूरो
छत्तीसगढ़ पब्लिक सर्विस कमीशन की 2018 की परीक्षा के ताजा घोषित परिणाम में बिलासपुर के रहने वाले राहुल शर्मा को चौथा स्थान मिला है और वे डीएसपी पद के लिए चयनित किये गए है।उन्होंने यह सफलता स्वाध्याय से ही हासिल किया है ।हालांकि इंटरव्यू के लिए उन्होंने कोचिंग संस्थान का सहारा लिया और मॉक टेस्ट दिया।
राहुल के प्रदेश में चौथे स्थान पर सफलता से उनके परिवार और मित्रों के बीच खुशी का माहौल है ।राहुल को बधाई देने वालो का तांता लगा हुआ है।इस बीच MISHRA KI MIRCHI ने राहुल से खास बात चीत कर उनकी सफलता के राज जानने प्रयास किया।
राहुल ने बताया कि वे बिलासपुर में ही पले बढ़े है।जबकि उनका मूल गांव मुंगेली जिला मुख्यालय के समीप खेड़ा गांव है।जीईसी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग करने के बाद बैंक और एसएससी परीक्षाओ की तैयारी में लग गए।उन्हें आईबीपीएस में सफलता मिली और आईडीबीआई बैंक में अस्सिटेंट मैनेजर के पद पर चयनित किये गए।तीन माह की नौकरी के वाद वे नौकरी छोड़कर वापस घर आ गए और पीएससी की तैयारी में लग गए दूसरे प्रयास में ही उन्होंने प्रदेश में चौथा स्थान हासिल कर परिवार को गौरव का अवसर दिया और अपने लिए डीएसपी का पद प्राप्त किया।
राहुल का कहना है कि नौकरी छोड़ने का निर्णय आसान नही था ।मगर परिवार वालो विशेषकर पिताजी की हाँ होते ही नौकरी छोड़ दिया।इसमे माता जी भाई ने भी आत्मविश्वास बढ़ाया।और कहा कि तुम कुछ भी कर सकते हो तुममें क्षमता है।उनके दिए आत्मविश्वास और प्रेरणा से ही तैयारी में जुट गया और नतीजा आपके सामने है।
अपनी तैयारियों को लेकर राहुक ने बताया कि उन्होंने घर पर ही स्वाध्याय किया ।कोचिंग संस्थानों के जो भी नोट्स मीले उन्हें पढ़ा और तैयारी की।वे पाठ्य सामग्री को मोबाइल और पेन ड्राइव में लेकर आते और पढ़ने लायक तथ्य को छटनी करते।यद्यपि इसमे उनका बहुत से समय भी जाया हो जाता था।
उन्होंने बताया कि प्रतिदिन 4 से 5 घंटे शार्ट टर्म टारगेट के साथ पढ़ाई करता था।जिसमे दो से तीन दिनों का लक्ष्य निर्धारित रहता था।राहुल ने बताया कि पूरे सिलेबस की तैयारी के पीछे लगाने के बजाय जो हो रहा है उसे अच्छे से तैयार करने की रणनीति बनाई।ताकि जो पढ़ा रहूं उससे आये कोई भी प्रश्न न छूटे।इस तरह की तैयारी से मुझे ज्यादा परेशानी नही हुई।
कोचिंग के बारे में उनका मानना है कि कोचिंग से मार्गदर्शन और लाभ तो मिलता है।मगर पूरी तरह से कोचिंग पर ही निर्भर नही हो जाना चाहिए ।अपनी क्षमताओं को पहचानकर खुद की तैयारी पर ज्यादा जोर देना चाहिए।राहुल ने कोचिंग संस्थानों के नोट्स जुटा कर उनमे से अपनी क्षमता के अनुरूप तथ्य छांटकर तैयारी की ।
आने वाले प्रतियोगियों के लिए उनका कहना है कि अपनी क्षमता को जाने सही रणनीति तैयार करे।किसी टोपर की रणनीति उसके लिए सही हो सकती है जरूरी नही की आपके लिए भी सही हो।टॉपरों से सीखें उन्हें फोलोव भी करें मगर जब लगे कि अपेक्षित तैयारी नही हों पा रही है तो रणनीति बदले और अपनी क्षमता के अनुसार मार्ग चयन करें।सफलता आपजे प्रयास से मिलेगी लेकिन सही रणनीति आवश्यक है।
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