प्रतिनिधि की नियुक्ति करने पर कार्यवाही नही,सरपंच द्वारा जारी नियुक्ति पत्र रखकर भी जांच जांच खेल रहे अधिकारी।

मुंगेली

राकेश मिश्रा

लोरमी जनपद के ग्राम पंचायत मोहतरा कुर्मी में सरपंच द्वारा अवैध रूप से प्रतिनिधि नियुक्त किए जाने के मामले में तीन तीन बार जांच होने के बाद भी अभी तक किसी के विरुद्ध कार्यवाही नहीं की गई है।इससे शिकायतकर्ता के मन में शासन और उसके अधिकारियों के प्रति अविश्वास उत्पन्न हो रहा है और न्याय की उम्मीद भी क्षीण होती जा रही है।वहीं सरपंच और उसके द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि गांव में अपनी पहचान और पहुंच का रौब दिखाते फिर रहे हैं।

लोरमी जनपद के ग्राम पंचायत मोहतरा कुर्मी के सरपंच रूखमणी ध्रुव द्वारा अपने पंचायत के लेटर हेड में ग्राम पंचायत में राम निहोरा कश्यप को प्रतिनिधि नियुक्त कर जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को भेजा था। इसके बाद राम निहोरा ने सरपंच प्रतिनिधि का सील भी बनवा लिया और गांव से संबंधित मामलों में सील का उपयोग करते हुए पत्राचार भी करने लगा। लेकिन शिकायत के बाद सरपंच और उसके प्रतिनिधि ने नियुक्ति से ही इंकार कर दिया।शिकायत पर तीन तीन बार जांच कराया गया।लेकिन किसी के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई है।जांच अधिकारियों ने जांच प्रतिवेदन में क्या लिखा है इसकी जानकारी भी आवेदक को नही दी गई है।जबकि नियमानुसार शिकायतकर्ता को जांच से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी देना होता है।

सरपंच ने अपने लेटर हेड में किया है प्रतिनिधि की नियुक्ति


जांच पर जांच मगर कार्यवाही शून्य
पंचायत राज अधिनियम के तहत किसी भी जनप्रतिनिधि को अपना प्रतिनिधि नियुक्त करने का अधिकार नहीं दिया गया है।मगर मोहतरा सरपंच ने पंचायत अधिनियम को अनदेखा करते हुए अपने पंचायत के लेटर हेड में प्रतिनिधि की नियुक्ति किया।और बकायदा जनपद पंचायत के सीईओ को भेजा भी।इस मामले की शिकायत के बाद तीन बार जांच किया गया।पहले एडिशनल सीईओ जनपद पंचायत लोरमी ने संबंधितों को जनपद कार्यालय बुलाकर बयान दर्ज किया ।मगर उसके बाद क्या कार्यवाही हुई इसका कुछ पता नहीं चला।उसके बाद तहसीलदार एम पी कौशिक भी मामले की जांच करने पंचायत गए और बयान लिया ।लेकिन कार्यवाही शून्य रही।इसके बाद रामकुमार पात्रे जनपद कार्यालय से पुनः जांच करने पहुंचे और सभी का बयान लिया ।मगर आज तीनाहीने गुजर जाने के बाद भी सरपंच और तहकथित प्रतिनिधि की विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई है।कुल मिलाकर मामले को जांच उलझा कर सरपंच और सचिव सहित प्रतिनिधि को बचाया जा रहा है।जबकि सरपंच का प्रतिनिधि नियुक्ति पत्र सरपंच और सचिव के हस्ताक्षर और सील मोहर के साथ जनपद सीईओ के पास खुद सरपंच ने सचिव के माध्यम से सूचनार्थ भेजवाया था।इसके बाद भी जांच जांच खेलकर मामले को लटकाया जा रहा है।

प्रतिनिधि नियुक्ति को लेकर सरपंच की स्वीकारोक्ति


मामला एसडीएम के पास
आवेदकों द्वारा लगातार पता करने और कार्यवाही के बारे मे पूछताछ करते रहने से मामला ठंडे बस्ते में नही गया है और एसडीएम कार्यालय लोरमी तक पहुंच गया है।लेकिन महीनो गाजर गए हैं एसडीएम कार्यालय से भी किसी प्रकार की कार्यवाही तो दूर संबंधितों को नोटिस तक जारी नही किया गया है।जबकि अब तक पंचायत अधिनियम की धारा 40 लगाकर सरपंच को बर्खास्त करते हुए प्रतिनिधि के विरुद्ध कानूनी प्रक्रिया शुरू हो जानी थी।

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