राज्य मानसिक चिकित्सालय की टीम पहुंची सेंट्रल जेल व बाल संप्रेषण गृह,जाना बंदियों की मनोदशा।

बिलासपुर

ब्यूरो –
राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी बिलासपुर के विशेषज्ञों की टीम ने मंगलवार को सेंट्रल जेल और बुधवार को बाल संप्रेषण गृह जाकर कैदियों और किशोरों की मनोदशा को जाना। इस दौरान विशेषज्ञों ने उन्हें सही मार्ग और संतुलित जीवन जीने की सीख दी और बताया कि सच्चाई और ईमानदारी से जीवन जीने से न सिर्फ उनका संपूर्ण विकास होगा, बल्कि अपनादेश भी प्रगति के पथ पर आगे बढ़ेगा।


जानकारी के अनुसार मंगलवार को मनोरोग चिकित्सक डॉ. आशुतोष तिवारी, चिकित्सा मनोवैज्ञानिक डॉ. दिनेश कुमार लहरी, कम्युनिटी नर्स एंजिलीना वैभवलाल की टीम सुबह 11 से दोपहर एक बजे तक रही। इस दौरान उन्होंने 175 कैदियों की जांच कर उनकी मानसिक वेदना के बारे में जाना एवं उनका समुचित उपचार किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि सेंट्रल जेल में काफी कैदी मानसिक वेदना से ग्रसित हैं। इस दौरान चिकित्सकों की टीम ने सभी का सही उपचार कर न सिर्फ उन्हें दवा दी बल्कि उनको उचित परामर्श करते हुए सही मार्ग परचलकर अच्छा कार्य करने की सीख भी दी।
बुधवार को पूर्व की भांति डॉ. दिनेश लहरी और एंजिलीना वैभवलाल बाल संप्रेषण गृह गए। यहां उन्होंने 9 किशोरों की काउंसलिंग की। डॉ. लहरी ने बताया ‘’ इस दौरान उन्होंने बच्चों को लाईफ हिस्ट्री के बारे में बताया। उन्हें बताया, अब तक उन्होंने जो भी गलत किया उसे भूलें और सही जीवन जीने की ओर आगे बढ़ें।इससे उनका न सिर्फ व्यक्तिगत विकास होगा बल्कि समाज की भी उन्नति होगी। जांच के दौरान बच्चों ने अपनी गलती को माना और कहा कि वह बाहर जाना चाह रहे हैं। बाहर निकलने के बाद वह सही मार्ग पर ही चलेंगे। नशा व चोरी जैसे जो भी गलत कार्य हैं उनसे दूर रहेंगे। माता-पिता की सेवा करेंगे और काम में भी उनका हाथ बटाएंगे। इतना ही नहीं समाज के अन्य किशोर किशोरियों को भी जीवन का सही मार्ग दिखाने का कार्य करेंगे”।
राज्य मानसिक चिकित्सालय के चिकित्साधीक्षक डॉ. बीआर नंदा ने बताया ‘’बच्चों को सही राह पर लाने के लिए सही देखरेख और मार्गदर्शन की नितांत आवश्यकता होती है। यदि उन्हें सही वातावरण और उचित मार्गदर्शन न मिले तो यह निश्चित रूप से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है। इसलिए समय रहतेकिशोरों की हर एक गतिविधि पर नजर रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए माता पिता ही नहीं बल्कि परिवार के हर एक सदस्य को किशोरों के व्यवहारों में हो रहे निरंतर बदलावोंपर नजर रखनी चाहिए। इससे यदि वह गलत मार्ग पर जाते हैं तो समय रहते उसका उपचार भी संभव है। उन्होंने बताया, उनके यहां से कम्युनिटी नर्स एंजिलीना वैभव लाल द्वारा विधिक उल्लंघन करने वाले किशोरों को लगातार परामर्श दिया जाता है। इसके साथ ही अस्पताल के मनोरोग चिकित्सक व अन्य विशेषज्ञ भी समय-समय पर परामर्श देने पहुंचते हैं।’’

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