बिलासपुर
ब्यूरो- सुप्रीम कोर्ट ने आज केरल हाई कोर्ट के फैले को पलटते हुए श्री स्वामी पद्मनाभ मंदीर का स्वामित्व त्रावणकोर राज परिवार को दे दिया है।इसके प्रबंधन के प्रशासक समिति की अध्यक्षता तिरुअनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे।इस समिति में 5 सदस्य होंगे।इस तरह केरल सरकार के उस आदेश को भी रद्द कर दिया गया है जिसने मंदीर का नियंत्रण करने न्यास गठीत करने के लिए कहा गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने आज स्वामी पद्मनाभ मंदीर के लिए लावै गई याचिका की सुनवाई करते हुए मंदीर के प्रशासन में शाही परिवार के अधिकार को बरकरार रखा है ।इस तरह केरल हाइकोर्ट के 31 फरवरी 2011 के फैसले को पलट दिया है,जिसमे हाई कोर्ट ने कहा था कि शाही परिवार के अंतिम शासक की मृत्यु पश्चात परिवार का अधिकार समाप्त हों जाता है।और मंदीर की परिसंपत्तियों पर केरल सरकार का अधिकार है।इसी फैसले के खिलाफ त्रावणकोर के राजपरिवार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर वकील गोपाल सुब्रमण्यम को न्यायालय मित्र नियुक्त किया। इस सिलसिले में पूर्व कैग विनोद राय की नियुक्ति मंदिर के रखरखाव संबंधी व्यय आदि के खर्चों की ऑडिट करने की जिम्मेदारी दी गई। लंबी जांच पड़ताल के बाद न्यायालय मित्र गोपाल सुब्रमण्यम ने रिपोर्ट पेश की थी।जिसके आधार पर आज सुप्रीम कोर्ट ने त्रावणकोर शाही परिवार के पक्ष में फैसला सुनाया है।

भगवान विष्णु के इस मंदिर के बारे में प्रचलित है कि कठीन समय के लिए राजाओं ने यहां अथाह संपत्ति चुप कर रखे थे।इस मंदिर में 7 गुप्त तहखाने है और हर तहखाने में एक दरवाजा है ।इनमें छः तहखानों के दरवाजे सुप्रीमकोर्ट की।निगरानी में खोले गए जिसमें से 1 लाख करोड़ के सोने चांदी और हीरे के आभूषण निकले है।सातवें दरवाजे में नाग की आकृति खुदी हुई है।माना जाता है कि इस तहखाने की रखवाली भगवान के शेषावतार नागनकर रहे हैं,और इसे खोलना मुससेबातो को दावत देना है।इसलिए इसे नही खोला गया है।मंदीर लगभग 5000 वर्ष पुराना माना जाता है।