जातिगत भेदभाव और मानसिक प्रताड़ना का आरोप निकला झूठा, सहायक सचिव ने अधीनस्थों पर लगाया था आरोप

बिलासपुर

ब्यूरो- रायपुर माध्यमिक शिक्षा मंड़ल के सहायक सचिव द्वारा अपने अधीनस्थों के ऊपर लगाया गया मानसिक प्रताड़ना और जातिय भेदभाव आरोप जांच में झूठा पाया गया है।जांच के दौरान आवेदक द्वारा कोई ठोस साक्ष्य और गवाह प्रस्तुत नहीं कर पाने और जांच में सहयोग नहीं करने के कारण अजाक थाना कालीबाड़ी चौक ने मामला नस्तीबद्ध करने को कहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंड़ल के सहायक सचिव मूरत सिंह ने अजाक थाना कालीबाड़ी में प्राथमिकी दर्ज कराया था।इसमे उन्होंने अपने अधेवन कार्य कर रहे संजय राउत, नारायण मजूमदार, सी आर साहू और दैनिक वेतनभोगी जितेंद सिंह, संजय राव पैठनकर सहित अन्य पर जातीय भेदभाव और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था।उन्होंने लिखाया था कि उक्त व्यक्तियों द्वारा कार्यालय परिसर और बाहर दुकानों में भी उनके विरुद्ध टीका टिप्पणी की जाती है,और उन्हें व उनके परिवार को जान माल का खतरा है।

शिकायत की जांच अजाक थाना के उप निरीक्षक भोजराज द्वारा करने पर पाया कि शिकायतकर्ता मूरत सिंह किसी ठोस गवाह को प्रस्तुत नही कर सके उनकी ओर से केवल एक व्यक्ति ने ही गवाही दी।जबकि अनावेदकों की ओर से कहा गया कि मूरत सिंह पर भर्ती विज्ञापन में आरक्षण रोस्टर पा पालन नही करने का आरोप लगा था ,जिसके कारण सचिव ने उनकी वेतनवृद्धि रोक दी थी उन्हें ऐसा लग कि अनावेदकों ने ही शिकायत कर रुकवाया है।साथ ही अनावेदकों की ओर से कई लोगों ने गवाही दी,जिसमे शिकायत को निराधार और मन का भ्रम बताया गया।साथ ही विभागीय कार्यवाही के कारण रंजिशवश जातिगत प्रताड़ना का आरोप लगाया गया था।इसके कारण जांच अधिकारी ने शिकायत को झूठा और मनगढ़न्त बताते हुए नस्तीबद्ध किये को कहा है।

विभागीय कार्यवाही के प्रतिशोध में यदि उच्चाधिकारी अपने अधीनस्थों पर इस तरह आरोप लगाकर दबाव बनाने का प्रयास करेंगे तो कर्मचारी,अधिकारियों के सहयोगी न होकर गुलाम बनकर रह जाएंगे।नियमित कर्मचारी तो फिर भी प्रतिरोध कर सकते हैं लेकिन दैनिक वेतनभोगियो को तो बहुत ज्यादा मानसिक दबाव झेलना पड़ता है।

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