विधायक ने दिखाया अपना मातृ रूप , अकेली रह रही लड़कियों की व्यथा सुन तुरंत पहुंची उनके घर!

तख़तपुर

ब्यूरो-

तख़तपुर क्षेत्र की विधायक श्रीमती रश्मि आशीष सिंह ने मातृ दिवस के दिन बेलपान के एक घर मे अकेली रह रही  लड़कियों के घर जाकर अपने भीतर के मातृ  भाव को दिखाया है।बच्चियों की माँ का देहांत 23 अप्रैल  को हुआ था।घर मे माँ और बेटियाँ बस थी पिता होशंगाबाद कमाने खाने गए है साथ मे लड़कियों के भैया भाभी भी गए हुए है।माँ के बाद लडकिया घर मे अकेली रह गयी थी।


 क्षेत्र की विधायक अपने कड़क मिजाज के लिए जानी जाती है।लेकिन इस बार उन्होंने अपने अंदर छुपी हुई ममता को लोगो के सामने दिख दिया है।तख़तपुर के बेलपान के एक परिवार और उसकी लड़कियों की व्यथा जानकर तत्काल  न केवल उनके घर पहुंची बल्कि उनकी समस्या का समाधान करते हुए उनके पिता के वापसी का इंतेजाम भी अपने खर्च से कर दिया।प्राप्त जानकारी के अनुसार  तख़तपुर विधायक श्रीमती रश्मि आशीष सिंह को छिंदवाड़ा के किसी परिचित से पता चला कि उनके  विधानसभा क्षेत्र के कुछ मजदूर पैदल ही  होशंगाबाद से चले आ रहे हैं।उनमें से लालमणि कर्माकर की पत्नी का देहांत 23 अप्रैल को  हो गया  है।और घर मे दो  किशोरियां अकेली है।लालमणि लॉक डाउन के कारण अपनी पत्नी अंतिम संस्कार में भी शामिल नही हो पाया है। किशोरियों के घर पर अकेली और परेशानी से जूझने की बात पता चलते ही विधायक ने छिंदवाड़ा कलेक्टर को फ़ोन कर तख़तपुर आ रहे मजदूरों के लिए बस की व्यवस्था करने का निवेदन करते हुए बस का खर्च  स्वयं विधायक द्वारा उठाने की बात कही गयी।जिस पर कलेक्टर ने वहाँ बस कर मजदूरों की जल्द वापसी की व्यवस्था कर दी।इधर विधायक सीधे लड़कियों से मिलने बेलपान पहुंच  गयी और लड़कियों का हालचाल पूछकर उन्हें ढांढस बंधाया  तथा राशन पानी की व्यवस्था कराई साथ ही  कुछ आर्थिक मदद भी की।साथ ही यह जानकारी भी दी कि उनके पिता भी जल्दी ही गांव आ जाएंगे।विधायक श्रीमती रश्मि आशीष  सिंह की इस संवेदनशीलता और मातृभाव की सर्वत्र चर्चा हो रही है।इस विषय में विधायक का कहना है कि यद्यपि शासन प्रवासी मजदूरों को परिवहन की व्यवस्था कर घर ला रही है। लेकिन यहां मामला पूरी तरह मानवता और ममता का है। लाल मणि कर्माकर  न  यहाँ  जल्दीी पहुंचना क्योंकि  उसके घर  के हालात बद से बदतर होती जा रही है। बच्चे अपने पिता को याद कर रहे हैं। पति बच्चों की मां के अंतिम संस्कार में शामिल नही हो सका। लालमणि घर का इकलौता कमाने वाला सदस्य है। ऐसी सूरत में उसे बच्चों के बीच रहना बहुत जरूरी है। बच्चों से मिलकर कलेजा छलनी हो गया है। इसलिए  विशेष और निजी प्रयास से एक बस छिन्दवाड़ा भेजी हूं। प्रयास किया जा रहा है कि बस से अन्य प्रवासी भी घर लौट आए। 
यह है परिवार की व्यथा
घर की  कमजोर आर्थिक परिस्थिति के कारण बेलपान का रहने वाला लालमणि कर्माकर  अपने बेटे बहु के साथ होशंगाबाद मजदूरी करने चला गया।घर मे अपनी पत्नी सीताबाई और 15 वर्षीय  प्रियंका और 17 वर्षीय  नीलिमा को छोड़ गया।इस बीच सीताबाई की तबीयत खराब हो गई और 23 अप्रैल को वह स्वर्ग सिधार गई ।लॉक डाउन  होने के कारण लालमणि होशंगाबाद से वापस आकर पत्नी के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो सका। घर में दोनों बहने प्रियंका और नीलिमा अकेली हो गई हैं और कमाने वाला कोई नहीं है। इससे उन्हें बहुत ज्यादा कठिनाई होने लगी थी। लालमणि को भी इस बात का एहसास था इसलिए बस पैदल ही होशंगाबाद से 20 अन्य साथियों के साथ तखतपुर के लिए रवाना हो गया ।छिंदवाडा में किसी ने उनसे पूछा तो बात तखतपुर क्षेत्र की विधायक तक  पहुंच गई ।जिन्होंने अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए परिवार की समस्या को अपनी समस्या समझ कर न केवल पिता के लिए साधन उपलब्ध कराया बल्कि अपने क्षेत्र में रह रही बच्चियों के घर जाकर उन्हें ढांढस बंधाया और आर्थिक मदद करने के साथ राशन की भी व्यवस्था कराई।

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