मस्तूरी
सूरज सिंह- लॉक डाउन के कारण कमाने खाने दूसरे राज्यो में गए मजदूर वहीं फंस गए हैं।ऐसे ही मस्तूरी, पामगढ़ और आस पास के क्षेत्र के 105 मजदूर गुजरात के चण्डीसरगांव में फंसे हुए हैं।जहाँ उन्हें खाने पीने की परेशानी हो रही है।उनके साथ साथ उनके बच्चे भी भूखे रहने को मजबूर हैं।इसकी जानकारी उन्होंने स्थानीय स्तर पर अपने परिचितों को दी है।
कोरोना वाइरस के चलते छत्तीसगढ़ मस्तूरी, पामगढ़ और आस-पास के क्षेत्र के 105 देहाड़ी मजदूर गुजरात चण्डी सरगांव,ढोलका के इट भठ्ठे में फंसे हैं ।मजदूरों ने स्थानीय परिजनों को बताया कि उनको खाने पीने के लिए भी नही मिल रहा है,ना ही गुजरात सरकार इनकी कोई मदद कर रही है । इनके साथ इनके बच्चे भी है जो भूखे पेट सोने को मजबूर है। न शासन, न ही भठ्ठे का मालिक किसी प्रकार का मदद कर रहा है ।इनका यह भी आरोप है कि मालिक पहले खर्चा देता था, पर लॉक डाउन हुआ तब से वो भी बंद कर दिया है। जब मालिक से खर्चे के लिए या राशन के लिए पैसा या राशन मांगते है, तो काम ही बंद है तो कहा से दु ऐसा बोल देते है।सभी लोग चाहते है कि या तो शासन द्वारा खाने पीने की व्यवस्था की जाय या हमे घर जाने दिया जाये, नही तो हमारे बच्चे यह भूख से दम तोड़ देंगे ।संपूर्ण लॉकडाउन के चलते घर नहीं आ पा रहे और छत्तीसगढ़ शासन से गोहार लगा रहे है कि उन्हें बस घर तक छोड़ने की व्यवस्था कर दिया जाए।
कुछ मजदूरों के नाम और गांव
बिना (बोहापारा),अर्जुन भारद्वाज,गोपेश्वर पाटले(दोनो केवतरा),रामरतन जांगड़े (कोहका),अजोध्या (भुईगाव), नीलकंठ राय, राजू राय(भगवानपाली),विजेंद्र (बोहारडीह), समयलाल(चौवहा),राजू बंजारे (लवन खम्हरिया),पुरषोत्तम (मोहतरा),सुखचंद ओगरे(बीरगहनि)
इस विषय में अनुविभागीय अधिकारी मोनिका वर्मा का कहना है-लॉक डाउन की वजह से हमारे छत्तीसगढ़ के जितने भी मजदूर भाई बहन बाहर दूसरे राज्य में फंसे हुए है ,उनका पूरा ध्यान रखा जा रहा है ।जो हमारी जानकारी में नही है, उनको भी गांव गांव में सर्वे करा के जानकारी इक्कठा कराया जा रहा है। हमारी पूरी कोशिश है कि किसी भी स्थिति में हमारे मजदूर भाई बहनो को किसी प्रकार की समस्या न हो ।हम लोकल प्रशासन से मिल कर पूरी मदद कर रहे है चाहे किसी भी राज्य में हो।
इस विषय।मे बात करने के लिए विधायक कृष्णमूर्ति बांधी को भी फ़ोन लगाया गया मगर उनसे बात नही हो पाई है।