डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा से हो रहा समझौता!

सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में नही है पर्याप्त सेनिटाइजर और मास्क

डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ बिना सुरक्षा उपकरणों के इलाज करने हो रहे मजबूर

तखतपुर

ब्यूरो
कोरोना वायरस केे विरुद्ध पूरी दुनिया जंग लड़ रही है।भारत भी इसमे अग्रणी भूमिका अदा कर रहा है।लेकिन इस जंग को जीतने में मुख्य भूमिका निभाने वाले डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की ज़िंदगी ही सुरक्षित नही है।विशेष कर छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहाँ कोरोना से जंग लड़ने के लिए डॉक्टरों और  मेडिकल स्टाफ को आधारभूत संसाधन उपलब्ध नही है।न ही उनके पास मास्क है और न ही पर्याप्त मात्रा में सेनिटाइजर है।फिर भी वे अपनी जान जोखिम में डाल कर लोगो का इलाज कर रहे हैं। 

कोरोना से लड़ाई के लिए शासन प्रशासन द्वारा बचाव और सावधानी के प्रयास तो किये जा रहे हैं।लेकिन जिनके हाथों में यह लड़ाई जीतने का दारोमदार है,उन्हें ही सुरक्षा संसाधन उपलब्ध नही करा पा रहे  हैं।शहरी स्वास्थ्य केंद्रों में तो कुछ साधन उपलब्ध भी है।मगर ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में  कार्य करने वाले डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के पास मास्क ही नही है जिससे वह आने वाले मरीजों से संक्रमण से बच सके और दूसरों को बचा सके । यदि डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है तो उसके द्वारा इलाज किये गए हर व्यक्ति को संक्रमण होने की संभावना बढ़ती जायेगी। मेडिकल स्टाफ को मास्क पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नही।कराए जा रहे हैं।

मास्क किसी काम का नही

अभी कोरोना से लड़ने के लिए सावधानी के तहत मास्क लगाने की सलाह दी जा रही है।मगर अभी जिस मास्क को सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य केंद्रों में दिए जा रहे हैं वह उतना सुरक्षित नही है।स्वास्थ्य केंद्रों में काम करने वाले स्टाफ और डॉक्टरों को उन्हें हर दो घंटे में बदलने की आवश्यकता रहती है।अब यदि 8 घण्टे की ड्यूटी भी मानते है तो एक स्टाफ को कम से कम चार बार मास्क बदलने की आवश्यक्ता होगी।लेकिन यहाँ चार मास्क तो दूर की बात है एक भी उपलब्ध नही हो पा रहा है।ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य केंद्रों में काम कर रहे  लोगो को अपने और अपने परिवार की सुरक्षा की चिंता सता रही है।फिर भी मानव सेवा धर्म मानकर अपनी जान जोखिम में डालकर लोगो की सेवा कर रहे है।
एन95 मास्क की है दरकार

कोरोना से लड़ाई में जीतने के लिए मेडिकल स्टाफ का सुरक्षित होना उनके खुद के लिए तो आवश्यक है। इलाज कराने आने वाले अन्य लोगो को भी संक्रमण से बचाने के लिए जरूरी है।उन्हें इन्फेक्शन से बचाने के लिए मास्क और सेनिटाइजर उपलब्ध होना आवश्यक है ।अभी जो मास्क स्वास्थ्य  केंद्रों में है पूर्णतः सुरक्षित नही है।इस जंग को जीतने के लिए मेडिकल स्टाफ के पास एन95 मास्क होना जरूरी है यह वही मास्क है जो विधानसभा में सभी मंत्रियों और विधायकों ने अपने मुँह और नाक में लगा रखे थे।अब जब माननीयों विधानसभा जैसे सुरक्षित और साफ जगह में नेता एन 95 मास्क लगाने की जरूरी लगता है ।तो स्वस्थ्य केन्द्रों में कार्य करने वाले मेडिकल स्टाफ को यह मास्क क्यों उपलब्ध नहीं कराए जा रहे है।जबकि सरकार का दावा है कि वह कोरोना से लड़ने पूरी तरह तैयार है।शासन ज़िन्दगी बचने वालो की ज़िंदगी ही खतरे  डाल कोरोना से जीतने का सपना ही देख सकती है।


सर्दी खाँसी के मरीजों की संख्या में हुआ है इजाफा

जब से कोरोना के बारे में लोगो को जानकारी हुई है तब से  स्वास्थ्य केंद्रों में सर्दी खाँसी के मरीजों की संख्या में बढोतरी हो गयी है।दिन की ओपीडी में आधे से ज्यादा मरीज सर्दी खाँसी के ही आ रहे है।डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ बिना मास्क के ही इनका इलाज करने  मजबूर है।ऐसे में  कौन कोरोना से संक्रमित है यह कहना मुश्किल है।यदि आने वाले मरीजों में से कोई कोरोना से संक्रमित रहा तो डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के भी संक्रमित होने की संभावना बढ़ रही है।कोरोना से लड़ने को मुस्तैद होने का दावा करने वाली सरकार डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को  मूलभूत सुविधा भी नही दे पा रहे है।जबकि हमारा देश कोरोना के थर्ड स्टेज में प्रवेश कर रहा है।


मरीज और परिजनों को भी नही है मुहैया

स्वस्थ्य केन्द्र में भर्ती मरीज और उनकी देखभाल के लिए रुकने वाले परिजन भी इसी असुरक्षित वातावरण के इलाज करा रहे है।और स्वास्थ्य होने की कामना कर रहे है।इस स्थिति में यदि इनके बीच कोई कोरोना से संक्रमित व्यक्ति या उसके संपर्क में आया मेडिकल स्टाफ पहुंच जाए तो हालत बद से बदतर हो  सकते है।ऐसे में जब सावधानी ही बचाव है का नारा दिया जा रहा है तो शासन के स्वाथ्य केंद्रों में ही सावधानी में चूक हो रही है। और स्थिति बिगाड़ने के पूरे इंतेजामात उपलब्ध है।

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