बिलासपुर
संजय निषाद
बिलासपुर जिले के मस्तूरी क्षेत्र के ग्राम जोन्धरा में एक झोलाछाप डॉक्टर खुले आम दवाखाना का संचालन कर लोगो की जान से खिलवाड़ कर रहा है।लेकिन विभागीय अधिकारी आंखें मूदें हुए है।विभागीय अधिकारी द्वारा इस विषय मे पूछे जाने पर रटा रटाया जवाब संज्ञान में आया है जांच करते है कहा जा रहा है।वही झोला छाप डॉक्टर ने डिग्री के विषय मे पूछे जाने पर बताने से इनकार करते हुए जिसे बताना था बता दिए है कहता है,जो उसके बढ़े हुए हौसले और अधिकारियों की मिली भगत की ओर इशारा करता है।

मस्तूरी क्षेत्र में एक बार फिर झोला छाप डॉक्टर लोगो की जान से खिलवाड़ आरंभ कर दिया है।ताजा मामला जोन्धरा का अंजलि दवाखाना का है।इस दवाखाने का डॉक्टर बिना डिग्री के लोगो का इलाज कर रहा है।डॉक्टर ने अपना नाम ईश्वर वासु बताया लेकिन डिग्री के विषय मे पूछते ही उसके हाथ पांव ठंडे हो गए और तैश में आ गया।उसने गुस्से में इतना कहा कि जिसे बताना चाहिए उसे बताया जा चुका है।आप लोगो को बताने की आवश्यकता नही है। रोज आसपास के सैकड़ो लोगो का इलाज कर उनकी जान को खतरे में डालने वाले इस डॉक्टर का पूरा अता पता किसी को भी पता नही है।पिछले चार महीने से यह जोन्धरा में दवाखाना का संचालन कर रहा है।

लोग इसके पास आते हैं और इलाज के नाम पर कौन दी दवाई दे रहा है क्या इलाज कर रहा है। इसकी जानकारी न तो मरीज को होती है और न ही उनके परिजनो को।वैसे भी अभी मौसम वायरल फीवर और सर्दी खांसी का चल रहा है।ऐसे में इस झोला छाप डॉक्टर के दवाखाने में रोजाना भीड़ देखी जा सकती है।इस दौरान यदि इनमें से कोई कोरोना का मरीज हुआ तो कम्युनिटी स्प्रेड होने से कोई नही रोक पायेगा।क्योंकि यहाँ कोविड प्रोटोकॉल की खुले आम धज्जियां उड़ाई जा रही है। चार महीने से खुले आम चल रहे इस अवैध दवाखाने की जानकारी विभागीय अधिकारियों को न होना भी समझ से परे से क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले की पहुँच गांव गांव तक है।मैदानी अमले के द्वारा झोलाछाप डॉक्टर के दवाखाना संचालन की यदि दिया गया है कार्यवाही नही हुई तब गया गंभीर बात है।लेकिन यदि मैदानी अमले द्वारा इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को नही दी गयी है तब भी इसे लापरवाही ही कहा जायेगा।
इस विषय में विकासखंड चिकित्सा अधिकारी नंदकुमार कंवर ने बताया कि कोविड के पहले सभी झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्यवाही करते हुए क्लिनिक बंद कराये गये थे।अब यदि फिर से कहीं चल रहा है तो नर्सिंग होम डिपार्टमेंट को लिखेंगे।
वही स्वयं उनके द्वारा जांच कार्यवाही करने के विषय के पूछे जाने पर टाल मटोल करने लगे।इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कहीं न कहीं विभागीय मिली भगत से इस तरह के दवाखाने संचालित किए जा रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग के जेडी प्रमोद महाजन से इस विषय में पूछा गया तो उन्होंने कहा है कि अगर बिना डिग्री और लाइसेंस के इस प्रकार के डॉक्टर पाए जाते हैं तो उनके ऊपर सख्त करवाई किया जाएगा।