आदिवासी सेवा सहकारी समिति में आदिवासी किसान की जमीन पर फर्जी व्यक्ति बेच गया धान!

बिलासपुर

राकेश रिपोर्टर

एक तरफ भाजपा प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने का ढिढोरा पीट कर आदिवासियों की हितैषी सरकार होने का दावा करती है।लेकिन दूसरी ओर भाजपा विधायक के क्षेत्र में ही आदिवासी सेवा सहकारी समिति में एक गरीब आदिवासी किसान की जमीन का पंजीयन कराकर किसी और के द्वारा कई वर्ष से समर्थन मूल्य पर धान बेचने का मामला सामने आया है।आदिवासी किसान ने इसकी शिकायत कलेक्टर और एसडीएम से करते हुए जांच कर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की मांग की है।वही इस विषय में कलेक्टर ने जांच कर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही और बिचौलियों से रकम की वसूली किए जाने की बात कही है।

मामला तखतपुर के जुनापारा का है। जुनापारा में पाली निवासी आदिवासी किसान मोती लाल की एक एकड़ 14 डेसिमल जमीन है।इस जमीन का पंजीयन कराकर जब वह धान बेचने टोकन कटाने जुनापारा आदिवासी सेवा सहकारी समिति के धान खरीदी केंद्र गया तो यह जानकर उसके होश उड़ गए कि उसके नाम पर पंजीकृत जमीन पर किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा पहले ही 23 क्विंटल धान बेचा जा चुका है।उसने और पता किया तो पता चला की पीछले तीन चार वर्ष से उसकी जमीन का पंजीयन कराकर किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा समर्थन मूल्य पर धान बेचा जा रहा है,जबकि उसके द्वारा पहले कभी भी सेवा सहकारी समिति में धान नहीं बेचा गया है। मोती लाल को अपनी जमीन पर कई वर्ष से धान बेचे जाने की जानकारी होते ही वह सीधे एसडीएम कार्यालय पहुंचा और शिकायत दर्ज कराई।मगर शायद उसे एसडीएम के यहां से न्याय की उम्मीद नहीं थी तो वह कलेक्टर के पास भी शिकायत लेकर पहुंच गया और अपना शिकायत आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई।

आदिवासी किसान का पैसा जायसवाल के खाते में

हमारी जानकारी के अनुसार मोती लाल गोंड के नाम की जमीन के पंजीयन में हरी लाल नाम का व्यक्ती नॉमिनी बना है और जो खाता क्रमांक पंजीयन के समय दिया गया है वह भरत लाल जायसवाल नामक व्यक्ति का है और बेचे गए धान की रकम उसी खाते में गया है।

धान बेचने की यह है प्रक्रिया
समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए पहले किसानों का पंजीयन होता है।उसके बाद किसान अपना धान लेकर निर्धारित खरीदी केंद्र में जाकर टोकन कटाता है और बताए गए दिनांक पर खरीदी केंद्र में धान लेकर जाता है और अपना आधार वेरिफिकेशन कराकर धान बेचता है।आधार वेरिफिकेशन के लिए किसान का थंब इंप्रेशन लिया जाता है।लेकिन यदि किसी कारण कोई किसान स्वयं उपस्थित नही हो सकता है तो वह अपने प्रतिनिधि के माध्यम से भी धान बेच सकता है लेकिन इसके लिए उसे लिखित में देकर पंजीयन में उसका नाम दर्ज कराना पड़ेगा।यदि किसी कारण किसान का थंब इंप्रेशन मैच नही करता है तो नोडल अधिकारी किसान का वेरिफिकेशन करने के बाद स्वयं की आईडी से किसान का धान तौल करा सकते हैं।

कैसे बेचा गया होगा धान

अब मोती लाल के मामले में किस तरह की संभावना हो सकती है।या तो कोई व्यक्ति फर्जी नॉमिनी बनकर धान बेचा हो।या फिर केंद्र प्रभारी को जानकारी में रहते हुए कोई दूसरा व्यक्ति धान बेच गया हो या नोडल की आईडी का उपयोग किया गया हो।या फिर पंजीयन के समय ही कोई गड़बड़ी की गई हो।अब किस तरह से मोतीलाल की जमीन पर धान बेचा गया है यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा ।लेकिन जिस तरस से आदिवासी मुख्यमंत्री के शासन काल में आदिवासी सेवा सहकारी समिति में एक गरीब आदिवासी की जमीन पर अज्ञात व्यक्ति द्वारा धान बेचा गया है, वह मिलीभगत के बिना संभव नहीं है।

शिकायतकर्ता मोतीलाल

कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश

वहीं बिलासपुर कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने बताया कि इस संबंध में पीड़ित किसान ने शिकायत दर्ज कराई है। मामला गम्भीर है मामले की गंभीरता को देखते हुवे संबंधित विभाग के अधिकारियों को आवश्यक कार्यवाही के लिए निर्देश दिए गए है। जांच उपरांत दोषियों के ऊपर कार्यवाही की जाएगी और पीड़ित किसान की पर्ची में बेचे गए धान की राशि की वसूली तक की कार्यवाही की जायेगी।

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