मस्तूरी
सूरज सिंह -सीपत से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत खाड़ा में मनरेगा के कार्य में भारी अनियमितता सामने आ रही है, जिसमें रोजगार सहायक की मुख्य भूमिका दिखाई दे रही है। वहीं इस पूरे मामले में ग्राम पंचायत खाड़ा के सरपंच का कहना है कि अभी तक मनरेगा के कार्य में हुए कार्य में लगभग 180 लोगों का पेमेंट नहीं आया है। इस बारे में रोजगार सहायक से जब पूछा गया रोजगार सहायक ने साफ बोल दिया कि किसी का पेमेंट हुआ ही नहीं है ।जबकि कोरोनावायरस महामारी के कारण आज पूरा विश्व जूझ रहा है ऐसे में ग्रामीण इलाकों में मनरेगा का कार्य ही गांव में रहने वाले लोगों को रोजगार दे रही है, और उनके जीवन यापन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और हर हफ्ते जनपद से इनका पेमेंट इन के खाते में डाल दिया जा रहा है।ऐसे में रोजगार सहायक के प्रतिनिधि धनेश्वर बिंझवार का कहना है कि किसी का पेमेंट डला ही नहीं है जबकि गांव वालों का आरोप है कि रोजगार सहायक के पति धनेश्वर बिंझवार मनरेगा के कार्य में बहुत घपला कर रहे हैं ।लॉक डाउन की वजह से सभी लोगो को आर्थिक संकट मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है ।ऐसे में रोजगार सहायक का पति धनेश्वर बिझवार एक लाख से अधिक कीमत वाली बाइक खरीद कर लाया है। सब का आरोप है कि यह पैसा कहां से आया और कैसे आया। वहीं इस पूरे मामले में ग्राम पंचायत सरपंच भी कार्यवाही की मांग कर रहा हैं ।उनका कहना है कि रोजगार सहायक की वजह से ग्रामीणों में बहुत आक्रोश है।उन्होंने रोजगार सहायक के नाम पर एक शिकायत पत्र जनपद कार्यालय मस्तूरी में देने का प्रोग्राम ही बनाया था पर इंजीनियर ने बोला कि मुझे दे दीजिए मैं पीओ मैडम को दे दूंगा और शिकायत पत्र को संबंधित इंजीनियर सरपंच के हाथों से ले गया ।उसका आज तक पता नहीं चला कि वह पी ओ मैडम के पास पहुंचा भी कि नहीं। देखना यह होगा कि 180 लोगों का जो पेमेंट रुका हुआ है, वह मिल पाता है कि नहीं। या गरीबों की मेहनत की कमाई रोजगार सहायक की जेब में जाती है। ग्रामवासियो का आरोप है कि जो लोग काम करने भी नही जाते उनके खाते में भी पेमेंट डाला जा रहा हैं, और ऐसा नही है कि ये पहली बार हो रहा हैं। इससे पहले साल यानी 2019 का भी पेमेंट अभी तक गांव के बहुत सारे लोगो को नही मिला है जो इस महामारी के समय मे सोचने वाली बात है।
