बिलासपुर
ब्यूरो-नई दिल्ली -कोरोना लॉक डाउन में अधिवक्ताओं को मदद देने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश देने के लिए दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने निराकृत कर दिया है।तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई करते हुए बीसीआई को निर्देश देने मना कर दिया है।वही याचिकाकर्ता को अधिवक्ताओं की मदद के लिए सीधे बीसीआई से संवाद करने को कहा है।

वैश्विक महामारी कोरोना के कारण किये गए लॉक डाउन के कारण स्वतंत्र रूप से कर करने वाले अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए बीसीआई को निर्देश देने की मांग करने वाली एक याचिका की सुनवाई करते हुए भारत के उच्चतम न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के लिए निर्देश जारी करने से मना कर दिया है ।पवन प्रकाश पाठक नामक वकील के द्वारा कोरोनावायरस के कारण लागू हुए लॉक डाउन के कारण वकीलों को होने वाले आर्थिक नुकसान में सहायता देने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश जारी करने की मांग उच्चतम न्यायालय से की गई थी।याचिकाकर्ता ने अपने पक्ष में कहा कि जो अधिवक्ता स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस करते हैं उनके लिए एडवोकेट एक्ट 1961 की धारा 5 में उल्लिखित है कि उनके हितों के लिए निर्देश जारी किए जा सकते हैं ।पाठक ने कहा कि जो अधिवक्ता स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस कर रहे हैं उनके पास आय का अन्य कोई साधन नहीं है ।इसलिए माननीय न्यायालय को बार काउंसिल को निर्देश देना चाहिए कि ऐसे वक्त में जब न्यायलयीन कर बन्द है,अधिवक्ताओं की मदद करें।
पवन प्रकाश पाठक की याचिका पर एन वी रमन्ना के नेतृत्व में 3 जजों की बेंच ने सुनवाई करते हुए याचिका को निराकृत कर दिया और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को किसी भी प्रकार के निर्देश जारी करने से साफ साफ मना कर दिया। याचिकाकर्ता को कहा कि यदि आपको बार काउंसिल से किसी प्रकार की सहायता चाहिए तो बार काउंसिल से संपर्क करें। उच्चतम न्यायालय किसी प्रकार का निर्देश जारी नहीं कर सकता। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि कुछ राज्यों में बार काउंसिल ने पहले ही राहत के कदम उठाए हैं। जस्टिस कौल ने पूछा कि हम अनुच्छेद 32 के अंदर बीसीआई को कैसे निर्देश दे सकते है। यह बार काउंसिल का अधिकार है कि वह वकीलों के हित में किस तरह के कदम उठाता है। जस्टिस कौल ने आगे कहा कि यह एक वैश्विक महामारी है और हर कोई इससे कष्ट में हैं और वकील भी उनमें से एक है ।
याचिकाकर्ता के यह कहने पर कि अधिवक्ता अधिनियम में यह दिया गया है कि अधिवक्ताओं को मदद पाने का अधिकार है और उत्तम न्यायालय बार काउंसिल को निर्देश दे सकता है। माननीय न्यायालय ने अमान्य कर दिया और किसी भी प्रकार का निर्देश जारी करने से मना कर दिया। माननीय न्यायालय ने कहा कि हम आपकी समस्या समझते हैं किंतु आपको इन समस्याओं के निराकरण के लिए बार काउंसिल आफ इंडिया से ही संपर्क करना चाहिए।